लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के बीच की खाई अब और बढ़ गयी है। शिवपाल यादव ने अलग मोर्चा बनाकर इस बाद के संकेत दे दिये हैं कि अब उनका अखिलेश और उनकी पार्टी से कोई लेनादेना नहीं है। शिवपाल का अलम मोर्चा बनाने के बाद राजनीति में हलचल तेज हो गयी है।

जानकार इस मोर्च के गठन को समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी दिक्कत मान रहे हैं तो इस शिवपाल के मोर्चा के गठन से इसका फायदा सीधे भाजपा को मिलने की बात कही जा रही है। सपा के पूर्व मंत्री शिवपाल यादव का अलग मोर्चा बनाने की ये योजना कुछ दिनों की नहीं है। शिवपाल यादव ने काफी लम्बे वक्त के सोच-विचार के बाद इस मोर्चे का गठन किया है।
समाजवादी पार्टी में लगातार उपेक्षा का परिणाम ऐसे सामने आया कि उन्होंने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का गठन कर दिया है। सपा की किसी भी मीटिंग में शिवपाल सिंह यादव को नहीं बुलाया जा रहा था। उपेक्षा का ये सिलसिला लंबे समय से चल रहा था। इस बात को आज शिवपाल सिंह यादव ने खुद मीडिया के सामने भी कहा।जनवरी 2017 में लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में शिवपाल सिंह यादव को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा कर दी गई।
इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान भी शिवपाल यादव की भारी उपेक्षा की गई। उन्हें प्रचारक ही नहीं बनाया गया। चुनावी रणनीति में महारत होने के बावजूद उनकी अनदेखी की गई और आखिरकार पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
सपा सरकार में अक्टूबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंत्रीमंडल से अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को हटा दिया था। इनके अलावा ओमप्रकाश सिंहए नारद राय और शादाब फातिमा को हटा दिया था। बाद में चुनाव के दौरान नारद राय और फातिमा बसपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2017 में शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नरेश उत्तम को कमान सौंप दी गई थी।
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