लखनऊ: केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के इस बार नोएड संसदीय सीट से चुनाव लडऩे को लेकर चर्चा है। वहीं नोएडा के मौजूदा सांसद महेश शर्मा को राजस्थान के अलवर भेजा जा सकता है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह सत्ता विरोधी लहर से पार पाने के लिए मौजूदा सदस्य को टिकट नहीं देने के अपने आजमाए गए फॉर्मूले के तहत काम कर रहे हैं।

बीजेपी सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व और स्थानीय आरएसएस इकाइयों द्वारा कराये गये शुरुआती सर्वेक्षण में गौतम बुद्ध नगर की ग्रामीण आबादी में पार्टी के प्रति गुस्सा था जोकि क्षेत्र की कुल आबादी का 40 प्रतिशत है। संसदीय क्षेत्र में नोएडा और गेट्रर नोएडा जैसे शहर तो ग्रामीण इलाकों के विधानसभा क्षेत्र खुर्जा, सिंकदराबाद और जेवर आते हैं।
राजनीति पार्टियों द्वारा ऊपरी तौर लगाए गए अनुमान के अनुसार संसदीय क्षेत्र के 19 लाख मतदाताओं में से 12 लाख मतदाता ग्रामीण इलाके से आते हैं। शहरी मतदाताओं की संख्या 7 लाख हैण्। इनसब में मुस्लिम, गुज्जर और जाटों के बाद राजपूतों की संख्या सबसे अधिक है। यह जातीय समीकरण था जिसने 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां की पांच सीटों पर जीत दर्ज करने में मदद की थी।
पार्टी के तीन विधायक राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, बिमला सोलंकी और धीरेंद्र सिंह राजपूत हैं। संसदीय क्षेत्र का सामाजिक समीकरण हमेशा राजनाथ सिंह के पक्ष में रहा है। उन्हें 2009 लोकसभा चुनाव में गौतम बुद्ध नगर से चुनाव लडऩे की सलाह दी गई थी लेकिन उन्होंने गाजियाबाद से चुनाव लड़ा। 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने लखनऊ से उन्हें चुनाव लड़वाया जिस सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी करते थे। महेश शर्मा ने 2014 में यहां से सपा के नरेंद्र भाटी को 2,80,212 मतों के अंतर से हराया था।
बसपा के सतीश कुमार को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था। लेकिन पार्टी के सर्वेक्षण में यहां के ग्रामीण इलाकों में शर्मा के प्रति गुस्से की वजह से पार्टी पेशे से डॉक्टर शर्मा को अलवर सीट से चुनाव लड़वाने की सोच रही है। उनका जन्म अलवर के मनेठी गांव में हुआ था। भाजपा के महंत चंद नाथ ने अलवर से 2014 लोकसभा चुनाव में भंवर जितेंद्र सिंह को 283895 मतों के अंतर से हराया था।
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