नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है और इसके बजाय वह अपने राज्य उत्तर प्रदेश को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहेंगे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकार -लेखक प्रिया सहगल की एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में गुरुवार यह कहा। जिसमें बीजेपी नेता राम माधव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के सचिन पायलट और रालोद के जयंत चौधरी शामिल हुए थे।
परिचर्चा का रूख महागठबंधन की ओर मुडऩे पर कार्यक्रम के संचालक वीर सांघवी पत्रकार ने पूछा कि जब सभी विपक्षी नेताओं की प्रधानमंत्री बनने की महात्वाकांक्षा है ऐसे में कोई गठबंधन कैसे काम करेगाण्। इस पर यादव ने जवाब दिया कि उनकी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। इसके बाद सांघवी ने पूछा नहीं है ,यादव ने जवाब दिया नहीं है।
जब संचालक ने पूछा कभी नहीं सपा नेता ने कहा कभी नहीं। सपा प्रमुख ने कहा कि इसके बजाय वह अपने राज्य की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहेंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपने द्वारा किए गए कार्यों का उदाहरण दिया। वर्ष 2012 से 2017 तक उप्र के मुख्यमंत्री रहे यादव ने गोमती नदी और आगरा एक्सप्रेसवे के लिए किए गए कार्यों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे पर सुखोईए मिराज और हक्र्यूलस विमानों को उतारा गया जो इस बात का सबूत है कि वहां अच्छे काम किए गए। उन्होंने बीजेपी नेता राव माधव की ओर शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ देखते हुए कहा अब, आप अपना राफेल लड़ाकू विमान भी उतार सकते हैं। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि किसी को भी अपना जीवन प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के साथ शुरू नहीं करना चाहिए क्योंकि राजनीतिक करियर को आकार देने में कई चीजें भूमिका निभाती हैं और राजनीति में कुछ भी कहीं से भी स्थायी नहीं है।
प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा नहीं होने का यादव का बयान संभवत बसपा प्रमुख मायावती की प्रधानमंत्री पद की महात्वाकांक्षा को शांत करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
दरअसल विपक्षी पार्टियां अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का मुकाबला करने के लिए महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही हैं। गौरतलब है कि यादव ने पिछले साल फरवरी में भी यह कहा था कि प्रधानमंत्री बनने में उनकी कोई रूचि नहीं है लेकिन उनका ताजा बयान अब बीजेपी के खिलाफ विभिन्न विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बनाने की कोशिश तेज होने के मद्देनजर काफी मायने रखता है।