Gotabaya Rajapaksa

श्रीलंका में 100 दिन बाद खुला राष्ट्रपति सचिवालय, जानें वजह

कोलंबो, श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच आक्रोशित प्रदर्शनकारियों की वजह से बाधित राष्ट्रपति सचिवालय आज 100 दिन बाद फिर से खुल गया है। इस दौरान राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर भारी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई। संडे टाइम्स अखबार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि सप्ताहांत में राष्ट्रपति सचिवालय को तैयार करने के लिए सफाई और मरम्मत का किया गया था। इसके अलावा गाले रोड को खोल दिया गया है।

100 दिन से विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे लोग

दरअसल, प्रदर्शनकारी 100 दिन से अधिक समय से इस जगह को बाधित किए हुए थे और जुलाई की शुरुआत में आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने कई प्रमुख सरकारी कार्यालयों पर कब्जा कर लिया था, जिसने तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर सिंगापुर भागने को मजबूर कर दिया था। उधर, गाले फेस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ श्रीलंकाई अधिकारियों की कार्रवाई को क्रूर और यातनापूर्ण बताते हुए आंदोलनकारियों ने इस कृत्य की निंदा की और कहा कि वे विरोध जारी रखेंगे, भले ही उन पर हमला ही क्यों न किया जाए। प्रदर्शनकारी 105 दिनों से अधिक समय से विरोध कर रहे हैं।

गोटाबाया के खिलाफ सिंगापुर में आपराधिक शिकायत दर्ज

वहीं, दक्षिण अफ्रीका के एक मानवाधिकार समूह ने गोटाबाया के खिलाफ सिंगापुर में एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। इसमें श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को लिट्टे के खिलाफ दशकों से चले आ रहे गृहयुद्ध में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार करने की मांग की गई है। अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ सार्वजनिक विद्रोह का सामना करने के बाद गोटाबाया श्रीलंका छोड़कर भाग गए थे और वर्तमान में सिंगापुर में ही रह रहे हैं। 2005 से 2014 तक अपने बड़े भाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान गोटाबाया ने रक्षा सचिव के रूप में कार्य किया था।

नौकरी छोड़ बोला वायु सैनिक- सुरक्षाबलों का गुलाम नहीं बनना

इस बीच, डेली मिरर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रीलंका वायु सेना के सदस्य असंका श्रीमल ने नौकरी छोड़ दी और इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि वह सुरक्षाबलों का गुलाम नहीं बनना चाहता। हालांकि, श्रीलंकाई एयर फोर्स के प्रवक्ता ने कहा कि वह वित्तीय धोखाधड़ी में दोषी पाया गया था और उसे आगे सेवा विस्तार नहीं दिया गया।

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