पेटीएम के आईपीओ को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। खासकर भारतीय कंपनी जोमैटो के आईपीओ आने के बाद अच्छे प्रदर्शन के बाद तो लोगों में आस जगी थी। लेकिन इसके आईपीओ आने से पहले ही लोगों को यह खबर झटका दे सकती है। बताया जा रहा है कि कंपनी की ओर से आईपीओ के आने पर रोक लगाने की बात कही जा रही है। इससे उन निवेशकों को झटका लग सकता है जो पूरी तैयारी के साथ आईपीओ में निवेश करने के लिए बैठे हैं। क्या है पूरा मामला। आइए जानते हैं। 
कंपनी के को-फाउंडर ने दी है जानकारी
पेटीएम एक तरह की मनी ट्रांसफर करने की भारतीय कंपनी है। मुनाफे के बाद से ही लोग इसके आईपीओ में निवेश करना चाह रहे हैं। अब कंपनी के एक पूर्व निदेशक ने कंपनी का को-फाउंडर बताया है खुद को और उन्होंने सेबी से इसके आईपीओ को लाने पर रोक लगाने की मांग की है। सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड है जो शेयर बाजार में कंपनियों पर नजर रखता है। इस मांग के बाद पेटीएम के 2.2 अरब डॉलर के आईपीओ के सामने रुकावट देखी जा रही है।
कौन हैं ये को-फाउंडर
अपने आप को कंपनी का को-फाउंडर बताने वाले अशोक कुमार सक्सेना 71 साल के ह ैं। यह कंपनी के पूर्व निदेशक बताए जा रहे हैं। इन्होंने ही सेबी से आईपीओ रोकने की मांग की है। उन्होंने कंपनी पर निवेश के बाद भी शेयर न दिए जाने का आरोप लगाया है। सक्सेना की ओर से छपे मीडिया में बयानों के आधार पर पता चला है कि उन्होंने दिल्ली पुलिस में भी शिकायत की है और मामला कोर्ट में भी है। इसकी सुनवाई सोमवार 23 अगस्त को होनी है।
क्या है पूरा मामला
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सक्सेना ने दावा किया है पेटीएम की पैरेंट कंपनी (वन97 कम्युनिकेशन) में उन्होंने 27500 डॉलर का इनवेस्टमेंट किया था। उन्होंने आरोप लगाया है कि कंपनी में उन्हें 55 फीसद हिस्सेदारी मिलनी थी जो नहीं दी गई। उन्हें शेयर नहीं दिया गया और यह आरोप उन्होंने सीईओ विजय शेखर वर्मा पर लगााय है। मामले में पेटीएम की ओर से दिल्ली पुलिस को बताया गया है कि यह एक तरह का उत्पीड़न है। पेटीएम की ओर से कहा गया है कि आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। जुलाई में सेबी के पास जमा गए आईपीओ दस्तावेज में विवाद को आपराधिक प्रासिडिंग बताई गई है। सक्सेना का कहना है कि उनके अनुमति के थर्ड पार्टी को कंपनी के शेयर बेचा नहीं जा सकता है यह गैरकानूनी है। उन्होंने यह भी बताया कि 2020 और 2021 में सीईओ से बात करने की कोशिश करने पर भी उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इसके पीछे लेटर आॅफ इंटेंट बताया जा रहा है।
GB Singh
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