गाजीपुर: लोग अपनी मांगों को मनवाने को लेकर अक्सर विरोध प्रदर्शन करते हैं। और यह बात कोई नई नहीं है। पर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद में मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर किसानों ने बड़ा ही अजीबो व गरीब प्रदर्शन किया। किसानों के लिए इस प्रदर्शन से जहां पुलिस व प्रशासन हलकान दिखा, वहीं लोगों को भी भारी दिक्कत का सामान करना पड़ा।
अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में किसानों ने आलू का समर्थन मूल्य 1250 रुपये कुंतल करानेए फसल बर्बाद करनेवाले पशुओं पर प्रभावी नियंत्रण सहित अन्य मांगों को लेकर डीएम एसपी कार्यालय के सामने सड़क पर दौ सौ कुंतल आलू गिरा दिए। पूरी सड़क आलू से पट गई थी।
किसान वहां छोडऩे के लिए वाहनों में भर कर मवेशियों को भी ले आए थे पर प्रशासनिक अधिकारियों के अनुरोध पर उन्हें नहीं छोड़ा। बाद में सरजू पांडेय पार्क में धरना दिया। किसानों ने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्रक एसडीएम विनय कुमार को सौंपा। चेतावनी दी की अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो उनका आंदोलन उग्र रूप ले सकता है।
धरना सभा में प्रांतीय मंत्री एवं पूर्व विधायक राजेंद्र यादव ने कहा कि सरकार आलू का समर्थन मूल्य 1250 प्रति कुंतल करे। फसलों को बर्बाद करने वाले पशुओं की समस्या का भी समाधान करे। नंदगंज चीनी मिल चालू कराने और नहरों में टेल तक पानी पहुंचाने की भी मांग की। कहा कि सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने का नारा दे रही हैए लेकिन डॉ स्वामीनाथन की रिपोर्ट के अनुसार किसानों के उत्पाद के मूल्य में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर कीमत तय नहीं की गई है।
कहा कि जीएसटी से खाद 13 प्रतिशतए कृषि उपकरण 18 प्रतिशत महंगे हो गए। बीजए कीटनाशकों के दाम बढ़ गए। इससे उपज की लागत बढ़ गई। किसान सभा द्वारा आलू गिराकर सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराने की वजह से घंटों आवागमन में अवरोध बना रहा।
चार पहिया वाहन तो आलुओं को रौंदते हुए आगे निकल जा रहे थे। लेकिन बाइक और टेंपो को निकालने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। आलुओं से घंटों आवागमन को बाधित रखा। हालांकि पुलिस आवागमन सुचारु कराने में जुटी रही। लोग जैसे ही लाखों की संख्या में गिरे आलू के पास पहुंच रहे थेए उन्हें पूछना पड़ रहा था कि अरे सड़क पर इतना आलू कैसे गिर गया। कहीं आलू लदा कोई वाहन तो नहीं पलट गया।
जब लोगों द्वारा यह बताया जा रहा था कि यह आलू किसानों के आंदोलन की देन हैए तो लोग हंसते हुए यह कहने लग रहे थे कि यह किसानों का सरकार के खिलाफ अनोखा विरोध है। सड़क पर इतनी बड़ी मात्रा में आलू गिरे हुए थे कि इनके बीच से लोगों को निकलने में एक बार सोचना पड़ रहा था।
बाइक सवार आलुओं के सामने आते ही वाहनों का ब्रेक लगा दे रहे थे और इस सोच में पड़ जा रहे थे कि कैसे निकले। कई बाइक सवारों ने ऐसा सोचा कि ये आलू आवागमन में क्या बाधक बनेंगे। ऐसे लोगों ने जैसे ही तेज रफ्तार से बाइक निकालना चाहा हैए बाइक फिसलने लगी।
कई बाइक और पैदल वाले जहांए फिसलकर गिर गए। वहीं अधिकांश लोगों ने पैदल जद्दोजहद करते हुए बाइकों को निकाला। आसपास के लोगों ने झोलाए बोरा गमछा आदि में आलुओं को बटोरना शुरू कर दिया। घंटों लोगों द्वारा आलू बटोरने का कार्य जारी रहा। हालांकि लाखों आलू वाहनों के पहिया के नीचे दबकर मलबे में तब्दील हो गए जिसे जेसीबी से उठाया गया।