भारत में सबसे सस्ती सेवा में भारतीय रेल ही है। यह गरीब से लेकर अमीर लोगों में काफी पसंद की जाती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह कीमत काफी बढ़ गई है जिससे गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवार को रेल से सफर करने से पहले सोचना पड़ रहा है। भारत में राजधानी, दूरंतो और शताब्दी ऐसी रेलगाड़ी है जो काफी पसंद की जाती है और यह विशेष गाड़ियों में आती है, लेकिन इसका किराया 2016 से डायनेमिक फेयर लागू होने के बाद काफी बढ़ गया है। लेकिन इसके किराए कम होने को लेकर कुछ चर्चा चली है। आइए जानते हैं।
संसद में आया जवाब
कोरोना काल में रेल मंत्रालय ने काफी परिवर्तन किए। कई रेलगाड़ियों को बंद कर दिया गया और कुछ को अलग नाम से चलाया गया। इसके अलावा किराए और कई तरह की सेवाओं में कटौती और उनवके दाम भी बढ़ाए गए। लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत हुई बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत को लेकर जिसे रेलवे ने हटाने के लिए कह दिया है। अब इन विशेष रेलगाड़ियों के किराए को लेकर संसद में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया है। उनका कहना है कि फ्लेक्सी फेयर पालिसी को वापस लेने की कोई योजना नहीं है। अभी रेलवे में डायनैमिक किराया प्रणाली है जो सीट की मांग के मुताबिक किराया बढ़ता जाता है। लेकिन फ्लेक्सी फेयर पालिसी अगर वापस नहीं ली जाती है तो डायनैमिक किराया प्रणाली वापस ली जा सकती है।
यात्री कम हो रहे हैं और किराया बढ़ रहा है
फ्लैक्सी फेयर पालिसी को वापस न लेने की बात मंत्री की ओर से की गई है लेकिन अभी तक डायनैमिक फेयर पालिसी वापस लेने की बात नहीं हुई है। रेलवे में यात्री कम हो रहे हैं और किराया बढ़ रहा है। अभी डायनैमिक फेयर पालिसी के तहत सीट में बुकिंग बढ़ती जाती है तो किराया 10 फीसद बढ़ता जाता है। सीटों के कम होने पर लोगों को ज्यादा किराया देना होता है। हालांकि यह सभी रेलगाड़ियों में लगाू नहीं है। लेकिन कई रूट पर रेलगाड़ी का किराया इतना महंगा है कि यह हवाई जहाज से भी ज्यादा हो रहा है। लेकिन सरकार का कहना है कि वह इस बारे में विचार कर रही है। यह आने वाले दिनों क्या रुख लेगा कुछ दिनों में पता चलेगा।
GB Singh