ग्रह और नक्षत्र की वजह से अब हर त्योहार दो बार मनाए जाने की प्रथा बनती जा रही है। होली और दीपावली को लेकर कोई संशय नहीं रहता लेकिन दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, मकर संक्रांति आदि त्योहार को लेकर कुछ ऐसा ही है। अब इस महीने पड़ने वाले त्योहार रक्षाबंधन को लेकर भी लोग काफी संशय में हैं। पूर्णिमा में मनाई जाने वाली रक्षाबंधन भी इस बार दो पूर्णिमा के बीच फंसी हुई नजर आ रही है। आइए जानते हैं कि यह त्योहार कब मना सकेंगे।
इस साल अगस्त में दो पूर्णिमा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखें तो इस साल सावन में दो पूर्णिमा बताए जा ररहे हैं। यह कुछ इस तरह है कि एक दिन पूर्णिमा शुरू होकर दूसरे दिन तक जा रहा है। इससे यह दो दिन का मुहूर्त दिखा रहा है। अगस्त में प्रदोष काल में यह पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त को पड़ रही है। फिर यह 21 अगस्त से शुरू होकर अगले दिन तक चलेगी। हालांकि 21 अगस्त को यह शाम को सात बजे शुरू होगी लेकिन यह शाम को पड़ने के चलते अगले दिन 22 अगस्त को शाम को पूर्णिमा समाप्त होगी। रक्षाबंधन में राखी बांधने का कार्य पूर्णिमा में ही करना शुभ माना गया है।
तो 22 अगस्त को है रक्षाबंधन
अब अगर पूर्णिमा 21 अगस्त को शाम को सात बजे के बाद शुरू हो रही है तो रक्षाबंधन का त्योहार उसी समय से शुरू हो जाएगा। लेकिन लोग शाम को राखी न बांधकर अगर सुबह राखी बांधना चाहते हैं तो 22 अगस्त को बांध सकते हैं। असल में रक्षाबंधन 22 अगस्त को ही मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार 22 अगस्त को रक्षाबंधन सिर्फ साढ़े 5 बजे तक ही मनाई जा सकेगी। इसके बाद अगर भद्रा दोष लग गया तो राखी नहीं बांध सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार भद्रा के अतिम चरण में भद्रा का प्रभाव कम हो जाता है जिससे इस समय रक्षा बंधन और होलिका दहन जैसे शुभ कार्य किया जाना शुभ होता है इससे भद्रा का अशुभ पभाव नहीं होता है।
पूर्णिमा के दिन यह भी व्रत पूजन
सावन की पूर्णिमा को सत्यनारायण की पूजा भी कराना शुभ है। यह 21 अगस्त को प्रदोष काल की पूर्णिमा तिथि रहेगी। 22 अगस्त को प्रदोष काल की पूर्णिमा नहीं है। इसके अतिरिक्त वेदों की पूजा और भगवान हयग्रीव की जयंती भी 22 को है। गायंत्री जयंती भी 22 अगस्त को है।
GB Singh