भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की ओर से देश में कार्ड बनाने वाली कंपनी मास्टरकार्ड को लेकर आदेश जारी किया गया है। जानकारी के मुताबिक अब मास्टरकार्ड एशिया पेसिफिक को आगे से कार्ड बनाने की अनुमति नहीं होगी। यह आरबीआई की ओर से अब तक की बड़ी कार्रवाई में से एक माना जा रहा है। मास्टरकार्ड के कार्ड भारत के आधे से अधिक लोग उपयोग करते हैं। भारत में मौजूदा समय में मास्टरकार्ड के अलावा वीजा, रुपे व अन्य कार्ड बनाने की प्रक्रिया में शामिल हैं। आरबीआई की ओर से क्यों की गई है कार्रवाई और इसका मौजूदा मास्टरकार्ड के कार्ड यूज करने वाले ग्राहकों पर क्या असर होगा। आइए जानते हैं।
आखिर क्यों लगाई रोक
जानकारी के मुताबिक आरबीआई की ओर से मास्टरकार्ड पर यह कार्रवाई काफी लापरवाही देखने के बाद लगाई गई है। मास्टरकार्ड की ओर से आंकड़ों के ठीक से रखने के नियमों का पालन नहीं किया गया जिससे यह कार्रवाई की गई है। भुगतान व्यवस्था आंकड़ों को रखने के नियमों में लापरवाही बरती गई है। इसके लिए आरबीआई की ओर से चेतावनी भी दी जा चुकी थी। बताया जा रहा है कि इससे आने वाले समय में डिजिटल बैंकिंग पर भी असर पड़ सकता है। मास्टरकार्ड काफी अधिक संख्या में कार्ड बनाता है और उसके यूजर भी काफी हैं। लेकिन आदेश के बाद अब मास्टरकार्ड 22 जुलाई से कोई भी नया कार्ड जारी नहीं कर पाएगा। यह कदम पेमेंट एंड सेटेलमेंट सिस्टम एक्ट के सेक्शन 17 के तहत उठाया गया है।
क्या वर्तमान ग्राहकों पर होगा असर
आरबीआई की ओर से मास्टरकार्ड को कार्ड जारी करने से रोका गया है लेकिन इससे वर्तमान समय में जो ग्राहक मास्टरकार्ड के डेबिट और क्रेडिट कार्ड उपयोग कर रहे हैं उनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। मास्टरकार्ड की ओर सभी बैंकों को जिन्होंने मास्टरकार्ड के कार्ड जारी किए हैं उनको संदेश भी भेजेगी ताकि वे नियमों का पालन करें। बता दें कि मास्टरकार्ड देश भर के कार्ड नेटवर्क को चलाता है और यह भुगतान व्यवस्था को आपरेट करने वाली कंपनी है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
आरबीआई ने मास्टरकार्ड पर पहली बार कार्रवाई नहीं की है। बल्कि इससे अमेरिकन एक्सप्रेस और डिनर क्लब इंटरनेशनल जैसी कंपनी को भी नियमों का उल्लंघन करने पर प्रतिबंध लगा चुका है। आरबीआई के अनुसार, उसने 6 अप्रैल 2018 को भुगतान सेवाएं देने की वाली कंपनियों के लिए नियम जारी किए थे। इसके तहत सभी कंपनियों को भुगतान के ट्रांसजेक्शन की हर जानकारी, ग्राहकों के आंकड़ों को भी रखना था। यह सिर्फ भारत में ही किया जाना था। इसके लिए छह माह का वक्त भी कंपनियों को दिया गया था। लेकिन मास्टरकार्ड ने इसका पालन नहीं किया। भारत में नियम पालन करने के लिए वीसा, जीपे, अमेजनपे, फोनपे फिनटेक कंपनियों को भी कहा गया था।