केंद्र सरकार ने फिलहाल कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से अर्थव्यवस्था पर बहुत नकारात्मक असर पड़ने की संभावना को खारिज किया है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक की तैयारियां कुछ और कहानी बयां करती है। जानकारों की मानें तो चार से छह जून के बीच मौद्रिक नीति समिति की बैठक में इस बार क्रूड की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी ही मुख्य मुद्दा होगा। आसार इस बात के हैं कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली यह छह सदस्यीय समिति ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला कर सकती है।
कच्चे तेल की तेजी रहेगी मुख्य बिंदु
उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक एमपीसी की बैठक से पहले वित्त मंत्रालय और आरबीआई गर्वनर के बीच भी क्रूड की कीमतों और इसके तमाम आयामों पर चर्चा होगी। पिछले अप्रैल में एमपीसी की बैठक में यह कहा गया था कि ब्याज दरों पर जून की बैठक काफी अहम रहेगी। अप्रैल के बाद से अभी तक क्रूड की कीमतों में तकरीबन 20 फीसद की बढ़ोतरी हो चुकी है। ताजे आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में खुदरा महंगाई की दर 4.58 फीसद रही है। मार्च के महीने में यह 4.28 फीसद थी।
महंगाई पर काबू करने की चुनौती
कई आर्थिक एजेंसियों ने कहा है कि मई में यह पांच फीसद को पार कर जाएगी। आरबीआइ हर कीमत पर इसे मौजूदा स्तर यानी चार से पांच फीसद के बीच ही रखना चाहेगा क्योंकि इस साल के लिए महंगाई दर का लक्ष्य चार फीसद (दो फीसद कम या ज्यादा) रखा गया है। ऐसे में अगले महीने ब्याज दरों में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
बैंक ने पहले ही दिए संकेत
देश के तमाम बैंकों की तरफ से भी जिस तरह के कदम उठाए जा रहे है उससे संकेत मिलते हैं कि वे ब्याज दरों में बढ़ोतरी को तय मान रहे हैं। पिछले दो महीनों में एसबीआइ, पीएनबी समेत तमाम बैंकों ने ज्यादा जमा राशि वसूलने के लिए सावधि जमा स्कीमों पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया है। सावधि जमा स्कीमों पर जब भी बैंक ब्याज दरों को बढ़ाते हैं तो उसे कर्ज को महंगा करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जाता है।
ब्याज घटाने की कोशिश अब नहीं
यही नहीं आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले दिनों साफ तौर कहा था कि जून के बाद से ब्याज दरों को लेकर आरबीआइ के रुख में बदलाव आएगा यानी अभी तक ब्याज दरों को कम स्तर पर रखने की जो कोशिशें आरबीआइ की तरफ से हो रही थी, वह अब नहीं होंगी। महंगाई दर को थामने के लिए आरबीआइ को कर्ज को महंगा करना होगा।
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