किसानों का कर्ज माफ करने का वादा करके पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार बुरी तरह घिर गई है। सरकार बैंकों के साथ सीधे तौर पर वन टाइम सेटलमेंट के जरिए इस मामले को निपटाना चाहती थी, लेकिन बुधवार को मुंबई में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की अध्यक्षता में पंजाब सरकार और रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) केअधिकारियों के बीच हुई बैठक में पंजाब सरकार को कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। आरबीआई जोकि पहले से किसानों की कर्ज माफी के पक्ष में नहीं थी, ने ब्याज दर और एनपीए के मामले में पंजाब सरकार को कोई रियायत देने से इनकार कर दिया है।आज CM नीतीश कर सकते हैं मंत्रिमंडल का विस्तार, मांझी समेत इन चेहरों को मिल सकती है बड़ी जगह…
सूत्रों के अनुसार बैठक में पंजाब सरकार ने किसानों के फसली कर्ज को लेकर बैंकों के साथ वन टाइम सेटलमेंट के तहत अगले पांच साल के लिए ब्याज दर 4 फीसदी रखने का आग्रह किया था, लेकिन आरबीआई ने इस पर साफ इनकार कर दिया है।
दरअसल, फसली कर्ज के बारे में बैंकों को जो नियम है, उसके तहत अगर किसान छह महीने में फसली कर्ज लौटा देते हैं तो उन्हें कर्ज राशि पर केवल 4 फीसदी ब्याज ही देना पड़ता है, लेकिन छह माह से ज्यादा अवधि होने पर यही ब्याज दर बढ़कर 12 फीसदी हो जाती है। पंजाब सरकार की समस्या यह है कि उसने सूबे के करीब सवा दस लाख किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का एलान किया हुआ है, जोकि सरकार पांच साल में चुकता करना चाहती है। ऐसे में सरकार को कर्ज राशि पर 12 फीसदी ब्याज भी बैंकों को देना होगा।
पूरी कर्ज राशि की एकमुश्त अदायगी चाहते हैं बैंक
दूसरी ओर, स्टेट लेवल बैंकर्स एसोसिएशन केवल इस बात पर राजी है कि पंजाब सरकार किसानों का कर्ज खुद अदा कर दे, लेकिन कर्ज राशि पर ब्याज और डिफाल्टर खातों की रकम को लेकर बैंक कोई छूट देने को तैयार नहीं हैं। एसएलबीसी के आंकड़ों के मुताबिक, किसानों के सिर बैंकों का 70 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। पंजाब सरकार ने इसमें से 9500 करोड़ रुपये की कर्ज राशि ही माफ करनी है, जो सूबे के किसानों की कुल कर्ज राशि का मात्र 8 फीसदी है, लेकिन राज्य सरकार यह 8 फीसदी कर्ज राशि भी पांच साल में चुकता करना चाहती है, वह भी पहले साल की ब्याज दर पर।
कर्ज माफी के लिए सरकार ने वर्ष 2017-18 के बजट में 1500 करोड़ रुपये रखे हैं और अगले पांच साल तक 15-15 सौ करोड़ रुपये इस मद में देने का वादा भी किया है। मुंबई में हुई बैठक के बाद इस बात पर पेंच फंस गया है कि बैंक अपनी कर्ज दी सारी राशि एकमुश्त चाहते हैं और अगर सरकार पांच साल में यह भुगतान करना चाहती है तो उस पर नियमानुसार ब्याज भी चाहते हैं। इस संबंध में, पता चला है कि बैठक में पंजाब सरकार को आरबीआई से कोई राहत नहीं मिल सकी है। हालांकि, सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि आरबीआई इस बात पर राजी हो गया है कि किसानों का कर्ज सरकार अदा कर सकती है। एसएलबीसी के अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने कर्ज की वसूली से मतलब है, चाहे किसान दें या कोई ओर।