शनि प्रकोप से बचने के लिए लोग तमाम तरह के उपाय करते हैं। इसमें वे दान करने से लेकर पूजा पाठ और तीर्थ भी करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शिव के शरीर में धारण रूद्राक्ष भी शनि के प्रकोप से रक्षा करते हैं। किसी भी प्रकार की समस्या हो चाहे वह साढ़े साती हो या फिर ढैय्या उससे रक्षा होती है। कहा जाता है कि रूद्राक्ष से शनि देव की कृपा भी होती है और लोगों के जीवन में कठिनाईयां कम हो जाती हैं। आइए जानते हैं।
क्या है रूद्राक्ष की खासियत
कहा जाता है कि रूद्राक्ष शिव के शरीर का ही अंग है। वह उसके आंसुओं से बना हुआ है। बताते हैं कि रूद्राक्ष काफी पुराना आभूषण है और यह काफी समय से उपयोग में लाया जा रहा है। कहते हैं कि इससे नक्षत्र और ग्रह भी काबू में रहते हैं। इससे पहनने से शरीर में कई तरह की गतिविधियां काबू में रहती हैं। यह पहनने से न केवल महादेव की बल्कि शनिदेव की कृपा भी मिलती है। लेकिन इसको पहनने को लेकर कुछ नियम है जिसे जानना जरूरी है।
शनि प्रकोप से मिलती है मुक्ति
रूद्राक्ष शनि के प्रकोप से बचाता है यह जानकर लोगों को काफी नयापन लगेगा लेकिन यह सच है। जानकारों के मुताबिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक गुणों से भरे रूद्राक्ष में कई संकटों से निपटने की शक्ति है। अगर नियम न जानें और इसे पहने तो कई तरह की दिक्कतें भी होती हैं। इसे विधि से पहनाना काफी अच्छा माना जाता है। बताते हैं कि अगर रोजगार या पढ़ाई को लेकर समस्या है तो रूद्राक्ष काफी अच्छा काम करता है। अगर दस मुखी रूद्राक्ष तीन पहनते हैं तो यह अच्छा होगा। अगर शनि का प्रभाव कुंडली में है तो एक मुखी और 11 मुखी रूद्राक्ष पहन सकते हैं। एक मुखी का एक और 11 मुखी के दो रूद्राक्ष को लाल धागे में पहनना अच्छा है। इसके अलावा साढ़े साती और ढैय्या से भी मुक्त के लिए पांच मुखी की रूद्राक्ष पहनते हैं तो अच्छा है। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या से मुक्ति पाने को आठ मुखी रूद्राक्ष पहन सकते हैं।
GB Singh