सावन में जाने शिव के रूद्रावतार की महिमा, मिलेगा पुण्य

सावन के महीने में आपको तीन चीजों की महत्व का पता चलता है। एक बारिश, दूसरा हरियाली और तीसरा शिव। सावन आते ही भगवान शिव की आराधना का पर्व भी शुरू होता है और एक माह तक लोग आध्यात्मिक रूप से भोले की भक्ति में डूब जाते हैं। मंदिरों में भी रूद्राभिषेक का क्रम चलता रहता है और अभिषेक से लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भोले के पास जाते हैं। सावन में महादेव को याद करना काफी फलदायी है और उनके रूद्रावतारों को भी याद करने से काफी पुण्य मिलता है। यह उनका रूद्र रूप है जिसे भयानक माना जाता है लेकिन यह अच्छा माना गया है। आइए उनके  दस रूद्रावतारों को याद करते हैं। 
महाकाल : महादेव के दस अवतार में पहला महाकाल है। उज्जैन में इस अवतार की पूजा होती है। यह एक ज्योर्तिलिंग है। यह मां काली की शक्ति मानी जाती है। उज्जैन में ही गढ़कालिकिा में मां कालिका का मंदिर है और महाकाली का मंदिर गुजरात में पावागढ़ में भी है जहां काफी श्रद्धालु आते हैं।

तारा : तारा यानी की तार भी मां तारादेवी का शक्ति अवतार है जो शिव में रूद्रावतार में है। तारा पीठ पश्चिम बंगाल में वीरभूम म ें द्वारका नदी के पास श्मशान घाट में है। यह पीठ जाने के लिए आपको पूर्वी रेलवे के रामपुर स्टेशन पर उतरना होगा और चार मील जाना होगा।

बाल भुवनेश : महादेव का तीसरा रूद्रावतार बाल भुवनेश माना गया है। माता भुवनेश्वरी का शक्तिपीठ उत्तराखंड में आप आराधना के लिए जा सकते हैं। यह अवतार की आराधना के लिए लोग पौड़ी गढ़वाल पहुंचते हैं।

षोडश श्रीविद्येश : यह शक्ति देवी षोडशी श्रीविद्या का अवतार माना गया है। महा विद्या दस है जिसमें तीसरे नंबर पर षोडशी है। यह त्रिपुरा के उदरपुर में है। यहा माता का दायां पैर गिरा था इसलिए इसे त्रिपुर भी कहते हैं।

भैरव : भैरव को महादेव का पांचवा रूद्रावतार कहते हैं। यह शक्ति भैरवी गिरिजा है जो उज्जैन के शिप्रा नदी के तट पर है। यहां मा के ओष्ठ गिरने के कारण इसे पूजा जाता है। कुछ गुजरात के गिरनार पर्वत के निकट भी शक्ति पीठ मानते हैं।

यह पांच अवतार भी हैं काफी पूजनीय
शिवजी के अवतार में छिन्नमस्तक को भी काफी पूजा जाता है। यह शक्ति पीठ झारखंड की राजधानी रांची से आगे रामगढ़ में है। यहां मां छिन्नमस्ता का मंदिर है। हालांकि प्राचीन मंदिर तो नहीं है लेकिन नया मंदिर यहां आपको मिलेगा। पुरानी प्रतिमा भी यहां स्थापित है। इसके अतिरिक्त द्यूमवान भी भगवान शिव का अवतार है। यह धूमावती शक्ति के रूप में है जो मध्य प्रदेश के दतिया में शक्तिपीठ के रूप में स्थापित है। यहां मां का एक ही मंदिर है। बगलामुख भी महादेव का अवतार माना गया है। यह माता बगलामुखी के नाम से है। इसके तीन शक्तिपीठ हैं जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में, मध्यप्रदेश के दतिया में और शाजापुर में है। कांगड़ा लोग अधिक जाते हैं। मातंग को शिवजी का नौवा अवतार मानते हैं। यह झाबुआ के मोढेरा में आपको स्थापित मिलेगा। यह मां मातंगी देवी की शक्तिपीठ है। कमल को महादेव का अवतार माना जाता है। यह देवी कमला का रूप है।

GB Singh

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