जनवरी से नवंबर तक खुल गए दक्षिण भारत के इस मंदिर के कपाट, जानिए

    केरल के पथानामित्था जनपद में यह काफी खास मंदिर स्थित है जिसको लेकर पिछले दिनों काफी चर्चा थी। सारे अखबारों की सुर्खियां बने इस मंदिर को लेकर महिलाओं ने लड़ाई लड़ी। मामला कोर्ट तक पहुंचा था। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के दक्षिण भारत में स्थित सबरीमला मंदिर की। यह मंदिर पहाड़ों के बीच में है और यहां भक्तों को दर्शन करते समय तमाम तरह के नियमों को पालन करना होता है। श्रद्धालुओं को यहां आने से पहले काफी कड़े नियमों को मानना होता है। आइए जानते हैं।

क्या है खास नियम
सबरीमला मंदिर में जाने के लिए कुछ खास नियम है। यहां काफी श्रद्धालु आते हैं और मन्नत मांगते हैं और प्रार्थना करते हैं। मंदिर का नाम भी रामायण के एक पात्र शबरी के नाम पर पड़ा है। सबरीमला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा होती है और यह काफी माने जाते हैं पूरे दक्षिण भारत में। अयप्पा को हरिहरपुत्र भी कहते हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु और शिव के मानस पुत्र भगवान अयप्पा हैं। यहां आने वाले भक्तों को जो नियमों का पालन करना होता है उसमें कुछ विशेष बाते हैं। यह मंदिर जनवरी से नवंबर तक खुलता है और बाकी महीनों में बंद रहता है।

नियमों का पालन करना जरूरी
श्रद्धालुओं के लिए पहले पंपा त्रिवेणी में स्नान करना होता है। इसके बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलता है। यहां गणेश की पूजा के बाद ही भक्त सीढ़ी चढ़ते हैं। इसके बाद शबरी पीठम आता है। यहां पर शबरी ने तपस्या की थी। इसके बाद शरणमकुट्टी आता है वहां भक्त बाण को लगाते हैं और दो रास्ते में आगे बढ़ते हैं। एक रास्ता सामान्य है और दूसरा सीढ़ियों का मार्ग है और यहां आने से पहले भक्तों को 14 दिन का व्रत भी करना होता है। जब वे सीढ़ियों से आगे बढ़ते हैं तो नारियल में भरकर उसे फोड़ते हैं और हवन कुंड में नारियल डाल देते हैं। कुछ अंश लोग प्रसाद के रूप में लेते हैं।

भगवान के दर्शन के भी हैं नियम
सबरीमला में भक्त जब आते हैं तो यहां पर दर्शन से पहले काफी नियमों का पालन करना होता है। मंदिर तक पहुंचने से पहले कुछ नियम आपने जाने हैं। अब मंदिर के अंदर जाने के लिए भी कुछ नियम हैं। जानकारी के मुताबिक, मंदिर में जाने के लिए 14 दिन तक भक्त को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इस दौरान भक्त काले या फिर नीले रंग के कपड़े पहनने होते हैं। तुलसी की माला पहनकर दिन में एक बार भोजन करना होता है। पूजा के बाद जमीन पर सोना होता है। साथ ही पूजा गुरु के साथ ही कर सकते हैं। सिर पर इरुमुखी रखना जरूरी होता है पूजा के समय। झोले में घी से भरे नारियल और भोजन की चीजों को रखना होता है।

GB Singh

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