इलाहाबाद: प्रख्यात साहित्यकार दूधनाथ सिंह नहीं रहे। आधी रात के बाद संगमनगरी इलाहाबाद में 82 वर्षीय इस साहित्यकार ने आखिरी सांस ली। आज शाम को चार बजे इलाहाबाद के रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
दूधनाथ सिंह को प्रोस्टेट कैंसर था। नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स में उनका इलाज चल रहा था। करीब सप्ताह भर पहले उनको दिल्ली से इलाहाबाद लाया गया था। कल उनकी तबियत फिर खराब हो गई थी। इसके बाद उन्हें फीनिक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके करीबी शिष्य सुधीर सिंह ने उनके निधन की पुष्टि की। समाचार पाते ही देर रात अस्पताल में साहित्यकार पहुंचने लगे। उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए झूसी स्थित उनके आवास पर लाया गया है। आज इलाहाबाद के रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
दूधनाथ सिंह का जन्म बलिया जिले के सोबंथा गांव में 17 अक्टूबर 1936 को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए करने के बाद वर्ष 1960 से 1962 तक कोलकाता में अध्यापन किया। वहां मन नहीं लगा तो फिर वापस इलाहाबाद आ गए और यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पढ़ाने लगे।
उनका निवास इलाहाबाद के झूंसी में है। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो पुत्र और एक पुत्री है। साहित्यकार दूधनाथ ने आलोचना, कहानी, उपन्यास, विता संग्रह, नाटक, मुक्तिबोध संस्मरण साक्षात्कार इत्यादि से हिंदी साहित्य जगत में अहम स्थान बनाया था। उन्हें कई सम्मान भी मिले थे।