जोधपुर: करीब दो दशक पुराने काला हिरण शिकार मामले पर जोधपुर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सलमान को दोषी करार दिया है। अब इस मामले में हम आपको उस के बारे मेें बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से यह मामला कोर्ट तक पहुुंचा।
सलमान को सलाखों के पीछे पहुंचाने में लगा ये बिश्नोई समाज हिरणों को अपने बच्चों से भी ज्यादा मानता है। इतना ही नहीं समुदाय की महिलाएं हिरणों को अपना दूध भी पिलाती हैं। दरअसल बिश्नोई समाज उस वक्त सुर्खियों में आया जब इसने सलमान के खिलाफ केस दर्ज करवाया। समुदाय में लोगों की संख्या ज्यादा नहीं हैए लेकिन प्रकृति और जानवरों से प्रेम के चलते यह अकसर खबरों में रहा है।
समुदाय के पुरुषों को कोई लावारिस हिरण का बच्चा दिखता हैं तो उसे वह घर ले आते हैं और अपने बच्चों की तरह रखते हैं। महिलाएं एक मां का पूरा फर्ज निभाती हैं।
कहा जाता है कि ये प्रक्रिया पिछले 500 सालों से इस समाज के लोग करते आ रहे हैं। पर्यावरण से समुदाय का प्रेम बेशुमार है। बात सन् 1736 की है जब पेड़ों को कटने से बचाने के लिए इस समुदाय के 300 लोगों ने अपनी जान दे दी थी। बताया जाता है कि राज दरबार के लोग इनके गांव के पेड़ों को काटने पहुंचे थेए लेकिन इस समुदाय के लोग पेड़ों से चिपक गए और विरोध करने लगे।
इस आंदोलन की नायक रहीं अमृता देवी जिनके नाम पर आज भी राज्य सरकार कई पुरस्कार देती है। बता दें कि यह समाज ज्यादातर राजस्तान के रेगिस्तानी इलाकों में रहता है। भगवान विष्णु को मानने वाला समाज उनकी पूरी निष्टा से पूजा करता है। बताया जाता है कि समाज को बिश्नोई नाम भगवान विष्णु से मिला है।