गुजरात: महजब नहीं सीखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम, हम वतन हैं हम, हिंदुस्ता हमारा-हमारा। यह लाइन गीता सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा की हैं। यह बात को अपन जानते ही होगें, पर इस लाइन पर खरे उतर कर दिखाने की हिम्मत गुजरात के एक बस ड्राइवर शेख सलीम गफूर नहीं की।

पिछले वर्ष आतंकवादियों के द्वारा अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले में अद्भुत वीरता तथा बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए 52 यात्रियों की जान बचाने वाले ड्राइवर शेख सलीम गफूर को दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पिछले वर्ष 10 जुलाई को ड्राइवर शेख 60 यात्रियों के साथ अमरनाथ से लौट रहे थे।
उसी दौरान अनंतनाग जिले के बाटेनगू में बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। आतंकियों द्वारा अचानक हुई ताबड़तोड़ गोलीबारी में 8 यात्रियों की मौत हो गई। लेकिन गफूर ने बस चलाना जारी रखा और एक सिक्यॉरिटी पोस्ट के पास ही जाकर रुके। ड्राइवर के इस साहसिक कारनामे से 52 यात्रियों की जान बच गई।
गुजरात के वलसाड जिले के रहने वाले 37 वर्षीय सलीम तीन बच्चों के पिता हैं और उन्हें जीवन रक्षा पदक से सम्मानित करने के लिए चुना गया। उन्होंने कहा कि मुझे इस पुरस्कार के मिलने की खुशी तब और अधिक होती जब उस हमले में जान गंवाने वाले 8 लोगों की जिंदगी भी बचा ली गई होती। वर्ष 2017 के लिए कुल 44 नागरिकों को जीवन रक्षा पदक के लिए चुना गया।
इनमें से 7 को सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक सभी मरणोपरांत ,13 को उत्तम जीवन रक्षा पदक और 24 को जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया।
जहां सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक पाने वाले को बहादुरी के लिए एक लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया गया। उत्तम जीवन रक्षा पदक हासिल करने वालों को 60 हजार रुपये, जीवन रक्षा पदक पाने वाले को 40 हजार रुपये की राशि दी गई।
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