हिंदू धर्म में वैशाख मास के बाद अब ज्येष्ठ माह शुरू हो गया है। इस माह में जहां सूरज की तीव्रता और बढ़ेगी वहीं मौसम में बदलाव भी दिखेगा। यह मास ऐसा होता कि इसमें आपको देवताओं के पूजा के लिए कई महत्वपूर्ण तिथियों की जानकारी मिलती है। पूरे मास हनुमान की पूजा की जाती है और ज्येष्ठ के मंगलों में आयोजन होते हैं। इसके अलावा गणपति को भी पूजते हैं। उनका पर्व संकष्टी चतुर्थी भी इसी माह में पड़ रहा है। आइए जानते हैं।

कब है संकष्टी चतुर्थी
संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेश की पूजा के उद्देश्य से होता है। यह विघ्नहर्ता देव हैं इसलिए इस व्रत को करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और घर में मांगलिक कार्य होते हैं। इसकी पूजा करने से गणेश जी आपको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और गणेश चतुर्थी मिलेगी। यह विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह इस बार 19 मई को पड़ रही है। गुरुवार को दो बजकर 57 मिनट पर साध्य योग है।
कैसे करें पूजा
संकष्टी चतुर्थी का मतलब है कि कष्टों को दूर करने वाली चतुर्थी। यह भगवान गणेश को समर्पित व्रत है और इसलिए इसे भगवान गणेश की पूजा के साथ ही मनाया जाता है। इस दौरान पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं। चतुर्थी 18 मई को रात में साढ़े 11 बजे शुरू होगी और 19 मई को रात में साढ़े आठ बजे समाप्त होगी। लेकिन पूजा उदया तिथि में 19 मई को होगी। 19 को व्रत का पारण करने के बाद चंद्र का दर्शन करना चाहिए। यह रात में 10 बजकर 48 मिनट पर है। इस दिन पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद संकल्प लें और गणेश की आराधना करें। उनको फूल व फल व मोदक चढ़ाएं।
GB Singh
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