बीते वर्ष आठ नवंबर को हुई नोटबंदी की घोषणा से कुछ दिनों तक लोगों को भले ही परेशानी हुई हो, लेकिन इसने भारत को डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में अन्य देशों के मुकाबले तीन वर्ष आगे पहुंचा दिया। यही नहीं, इस समय दुनिया भर में फिनटेक की स्वीकृति का सबसे अधिक दर भारत में है। नोटबंदी का एक साल: आज ही के दिन से आपका सबसे बड़ा विलेन बना था बैंक
नोटबंदी का एक साल: आज ही के दिन से आपका सबसे बड़ा विलेन बना था बैंक
देश के सबसे बड़े बैंक, एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी ने भारत को डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में अन्य देशों के मुकाबले तीन वर्ष आगे पहुंचा दिया है। बजार में चल रहे विभिन्न प्रकार के प्रीपेड उपकरण जैसे मोबाइल वॉलेट, पीपीआई कार्ड, पेपर वाउचर और मोबाइल बैंकिंग में भी एक साल पहले के मुकाबले 122 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
उल्लेखनीय है कि भारत की उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी और डिजिटल भुगतान रीढ़ की हड्डी है।
अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टेंसी कंपनी ईएंडवाई की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में इस समय फिनटेक की सबसे अधिक स्वीकृति भारत में है, जो कि 52 फीसदी है। इस समय देखें तो देश के टोल प्लाजा, बस, रेलगाड़ी, सिनेमा टिकट आदि की खरीदारी, ई-कामर्स साइट से ऑनलाइन खरीदारी, पेट्रोल पंप, रेस्तरां आदि में करीब 15 करोड़ भारतीय नियमित रूप से डिजिटल साधनों से भुगतान कर रहे हैं।
इस समय करीब एक करोड़ कारोबारी भी डिजिटल भुगतान स्वीकारने में सक्षम हैं। मान लिया जाए कि यदि हर डिजिटल भुगतान करने वाला यदि हर महीने करीब तीन हजार रुपये भी इस तरीके से खर्च करता है तो हम रोजाना लगभग एक करोड़ लेन देन डिजिटल तरीके से करते हैं।
सुरक्षा से कोई समझौता नहीं
मोबिक्विक की सह संस्थापक उपासना टाकू का कहना है कि आमतौर पर लोग डिजिटल भुगतान के तरीके की सुरक्षा को शक की निगाह से देखते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान पूर्णत: सुरक्षित तो है ही, मोबाइल वॉलेट से किया गया भुगतान क्रेडिट कार्ड या नकद से भी ज्यादा सुरक्षित है। क्योंकि बायोमेट्रिक्स जानकारी, मजबूत पासवर्ड आदि इसकी सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
नोटबंदी का अर्थव्यवस्था की विकास दर पर असर नहीं
क्लियर टैक्स के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि यूं तो नेाटबंदी से किसान, दिहाड़ी मजदूर, लघु उद्यमी और छोटे कारोबारी बुरी तरह से प्रभावित हुए लेकिन इससे विकास दर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।
आप यदि पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि नोटबंदी से विकास दर पर कोई असर नहीं पड़ा। औद्योगिक विकास दर में मामूली गिरावट हुई। इससे आम लोगों को भी थोड़ी सी ही परेशानी हुई, वह भी शुरुआत में। बाद में सब कुछ ठीक हो गया।
फेयरसेंट डॉट कॉम के संस्थापक एवं सीईओ रजत गांधी का कहना है कि यह श्रेय तो नोटबंदी को ही जाता है कि इसने वैसे लोगों को भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए प्रोत्साहित किया जो पहले ऐसा करते हुए डरते थे।
इससे बैकों से ऋण का उठाव भले ही थोड़ा घटा हो लेकिन ऑनलाइन ऋण लेने में बढ़ोतरी ही हुई। उनकेमुताबिक भारत में पहले अधिकतर लोग डेबिट कार्ड का उपयोग सिर्फ एटीएम कार्ड की तरह करते थे और इससे खरीदारी करने में डरते थे। लेकिन नोटबंदी ने वह डर निकाल दिया।
मोबाइल वॉलेट को मिला नया जीवन
उपासना टाकू का कहना है नोटबंदी ने मोबाइल वॉलेट उद्योग को आश्चर्यजनक तरीके से खड़ा किया है। कहां तो लोग इसकी समाप्ति की भविष्यवाणी कर रहे थे और यह उद्योग पिछले वर्ष 55 फीसदी से अधिक की विकास दर हासिल की है। एक तरह से कहें तो दम तोड़ते मोबाइल वॉलेट को नोटबंदी ने एक नया जीवन दिया।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
						
					