सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा है। सोज की पांच अगस्त 2019 से घर में नजरबंदी को चुनौती देते हुये उनकी पत्नी ने याचिका दायर की है। मामले की अगली सुनावाई अगले माह जुलाई में होगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार और जम्मू- कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया और जुलाई के दूसरे सप्ताह तक नेता की पत्नी मुमताज़ुननिसा सोज़ की याचिका पर जवाब देने को कहा है। मुमताजुननिसा ने अदालत के समक्ष वरिष्ठ नेता को पेश करने और हाउस अरेस्ट ऑर्डर को खत्म करने की भी मांग की है।
हिरासत में लिए जाने के कारणों की जानकारी नहीं दी गई
मुमताज़ुननिसा ने आरोप लगाया है कि अब तक उनके पति को हिरासत में लिए जाने के कारणों की जानकारी नहीं दी गई है और वे जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के तहत गिरफ्तारी को चुनौती देने में असमर्थ हैं। यह उनकी नजरबंदी को न केवल गैरकानूनी और असंवैधानिक, बल्कि बेहद भयावहपूर्ण भी बनाता है।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के दौरान हुए नजरबंद
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और इसे दो केंद्रीय शासित प्रदेश (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का फैसला लिया था। इस दौरान तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को एहतियात के तौर पर हिरासत में नजरबंद कर दिया गया था। गत बुधवार को नौकरशाह से राजनेत बने शाह फैसल पीडीपी के दो प्रमुख नेता सरताज मदनी और पीरजादा मंसूर को रिहा करके घर में नजरबंद कर दिया गया। फारूक और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को अब रिहा कर दिया गया है।
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