सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की जमानत अर्जी खारिज कर दी। मामला वर्ष 2016 के दंगा व हिंसा से जु़ड़ा है, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे।
इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट ने भी 20 मई को साव की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। कोर्ट ने प्राथमिकी का हवाला देते हुए कहा था कि साव ने अपनी विधायक पत्नी निर्मला देवी के साथ मिलकर एनटीपीसी परियोजना के खनन कार्य में बाधा पैदा की थी। इसमें कई लोग घायल हो गए थे। साव ने झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
शीर्ष न्यायालय के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना व ऋषिकेश रॉय की पीठ ने साव की जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की उन शतरें का उल्लंघन किया है जो उनके सामने 15 दिसंबर 2017 को जमानत प्रदान करते समय रखी गई थीं। इसके कारण ही उनकी जमानत रद्द की गई थी। पिछले साल जमानत की शतरें के उल्लंघन पर 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने साव को रांची में कोर्ट के समक्ष समर्पण करने के लिए कहा था।
15 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने साव व उनकी पत्नी को जमानत देते हुए शर्त रखी थी कि वे भोपाल (मध्य प्रदेश) में रहेंगे। दोनों केवल कोर्ट की सुनवाई के दौरान ही झारखंड जाएंगे और वह भी पुलिस सुरक्षा में। इससे पहले उन्हें भोपाल के पुलिस अधीक्षक को सूचना देनी होगी।