कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस और जदएस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है। इस मामले में कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी जिसके बाद बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि वो राज्यपाल से फैसला बदलने को नहीं कह सकती। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण को लेकर निर्देश दिए हैं कि सदन में मतविभाजन हो और स्थानीय चैनल्स पर इसका लाइव प्रसारण भी किया जाए। कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने इस दौरान कोर्ट से कहा कि बहुमत परीक्षण के लिए सबसे वरिष्ठ को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहले भी कई बार हुआ है जब सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया। इस दौरान जस्टिस बोबडे ने उदाहरण देते हुए कहा कि सीनियर का मतलब कार्यकाल से है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि हम राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के लिए नहीं कह सकते। बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस ने इस बार राज्यपाल के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के फैसले को चुनौती दी है। साथ ही इसे नियम विरुद्ध बताया है। दोनों ही दलों ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने शुक्रवार देर शाम इसे लेकर अपनी याचिका दाखिल की है। दोनों ही दलों ने प्रोटेम स्पीकर के पद पर केजी बोपैया की नियुक्ति को जिस आधार पर चुनौती दी है, उनमें पहला यह है कि वह सदन में जूनियर हैं। सदन में उनसे ज्यादा वरिष्ठ सदस्य मौजूद हैं। ऐसे में जूनियर को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना गलत है। इसके अलावा बोपैया पर पूर्व में फ्लोर टेस्ट के दौरान ही गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके कामकाज के तरीके पर खुद ही अंगुली उठाई थी। ऐसे में इस तरह के व्यक्ति को फिर से प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना ठीक नहीं होगा। बता दें कि दोनों ही दलों ने इससे पहले कोर्ट में राज्यपाल के येद्दयुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के फैसले को भी चुनौती थी। इसके बाद इस मामले की कोर्ट ने रात में अर्जेंट सुनवाई की थी। 2010 में बोपैया ने बचाई थी येदियुरप्पा की सरकार राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को विस का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। उन्होंने स्पीकर रहते हुए 2010 में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर येदियुरप्पा सरकार बचाई थी। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने उसके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की थीं। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने शुक्रवार शाम फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया गया है।

SC से कांग्रेस को झटका, कोर्ट ने कहा- भाजपा के ही होंगे प्रोटेम स्पीकर

कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस और जदएस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है। इस मामले में कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी जिसके बाद बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि वो राज्यपाल से फैसला बदलने को नहीं कह सकती।कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस और जदएस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है। इस मामले में कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी जिसके बाद बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि वो राज्यपाल से फैसला बदलने को नहीं कह सकती।  इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण को लेकर निर्देश दिए हैं कि सदन में मतविभाजन हो और स्थानीय चैनल्स पर इसका लाइव प्रसारण भी किया जाए।  कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने इस दौरान कोर्ट से कहा कि बहुमत परीक्षण के लिए सबसे वरिष्ठ को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए।  इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहले भी कई बार हुआ है जब सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया। इस दौरान जस्टिस बोबडे ने उदाहरण देते हुए कहा कि सीनियर का मतलब कार्यकाल से है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि हम राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के लिए नहीं कह सकते।  बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस ने इस बार राज्यपाल के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के फैसले को चुनौती दी है। साथ ही इसे नियम विरुद्ध बताया है। दोनों ही दलों ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने शुक्रवार देर शाम इसे लेकर अपनी याचिका दाखिल की है।  दोनों ही दलों ने प्रोटेम स्पीकर के पद पर केजी बोपैया की नियुक्ति को जिस आधार पर चुनौती दी है, उनमें पहला यह है कि वह सदन में जूनियर हैं। सदन में उनसे ज्यादा वरिष्ठ सदस्य मौजूद हैं। ऐसे में जूनियर को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना गलत है। इसके अलावा बोपैया पर पूर्व में फ्लोर टेस्ट के दौरान ही गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके कामकाज के तरीके पर खुद ही अंगुली उठाई थी। ऐसे में इस तरह के व्यक्ति को फिर से प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना ठीक नहीं होगा।  बता दें कि दोनों ही दलों ने इससे पहले कोर्ट में राज्यपाल के येद्दयुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के फैसले को भी चुनौती थी। इसके बाद इस मामले की कोर्ट ने रात में अर्जेंट सुनवाई की थी।  2010 में बोपैया ने बचाई थी येदियुरप्पा की सरकार  राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को विस का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। उन्होंने स्पीकर रहते हुए 2010 में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर येदियुरप्पा सरकार बचाई थी। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने उसके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की थीं। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने शुक्रवार शाम फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया गया है।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण को लेकर निर्देश दिए हैं कि सदन में मतविभाजन हो और स्थानीय चैनल्स पर इसका लाइव प्रसारण भी किया जाए।

कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने इस दौरान कोर्ट से कहा कि बहुमत परीक्षण के लिए सबसे वरिष्ठ को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहले भी कई बार हुआ है जब सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया। इस दौरान जस्टिस बोबडे ने उदाहरण देते हुए कहा कि सीनियर का मतलब कार्यकाल से है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि हम राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के लिए नहीं कह सकते।

बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस ने इस बार राज्यपाल के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के फैसले को चुनौती दी है। साथ ही इसे नियम विरुद्ध बताया है। दोनों ही दलों ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने शुक्रवार देर शाम इसे लेकर अपनी याचिका दाखिल की है।

दोनों ही दलों ने प्रोटेम स्पीकर के पद पर केजी बोपैया की नियुक्ति को जिस आधार पर चुनौती दी है, उनमें पहला यह है कि वह सदन में जूनियर हैं। सदन में उनसे ज्यादा वरिष्ठ सदस्य मौजूद हैं। ऐसे में जूनियर को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना गलत है। इसके अलावा बोपैया पर पूर्व में फ्लोर टेस्ट के दौरान ही गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके कामकाज के तरीके पर खुद ही अंगुली उठाई थी। ऐसे में इस तरह के व्यक्ति को फिर से प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना ठीक नहीं होगा।

बता दें कि दोनों ही दलों ने इससे पहले कोर्ट में राज्यपाल के येद्दयुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के फैसले को भी चुनौती थी। इसके बाद इस मामले की कोर्ट ने रात में अर्जेंट सुनवाई की थी।

2010 में बोपैया ने बचाई थी येदियुरप्पा की सरकार

राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को विस का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। उन्होंने स्पीकर रहते हुए 2010 में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर येदियुरप्पा सरकार बचाई थी। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने उसके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की थीं। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने शुक्रवार शाम फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया गया है।

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