चाय से बनाई कंपनी
लोगों की आदत को अपने स्वाद से जगदीश ने ऐसा मिलाया कि लोग उनकी चाय के दीवाने हो गए। अब लोग चाय पीने ही नहीं बल्कि कुछ वक्त बिताने भी जगदीश की दुकान तक आते हैं। चाय का स्टार्टअप खड़ा करने वाले जगदीश प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेते हुए अपने काम को आगे बढ़ा पाए थे। वह बताते हैं कि न्यूजीलैंड में काफी अच्छी नौकरी थी उनके पास। वह कई सालों तक हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के साथ जुड़े हुए थे। लेकिन उनका मन वहां नहीं लग रहा था सो 2018 में वह भारत लौट आए। उनके दिमाग में जो चल रहा था उसे सुनकर सभी हैरान थे। वह एक चाय का बिजनेस शुरू करना चाहते थे। और यहां आकर उन्होंने इसे शुरू भी किया। उन्होंने न केवल चाय बेची बल्कि चाय के एक से बढ़कर फ्लेवर भी लोगों को पिलाया जिससे उनको जगदीश की चाय की आदत पड़ गई। अब वे इससे मुनाफा कमा रहे हैं। इन्होंने कारोबार का नाम एनआरआइ चायवाला दिया है। आज उनकी कंपनी में 35 से अधिक कर्मचारी हैं और टर्नओवर करीब 1.2 करोड़ रुपए है।
क्या है सफलता का राज
जगदीश जब न्यूजीलैंड से लौटे थे तो उनके दिमाग में कारोबार की योजना बिल्कुल साफ थी। लेकिन उनको इसके लिए काफी मेहनत और लोगों के बीच विश्वास पैदा करने की जरूरत थी। जो उन्होंने करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह बताते हैं कि उन्होंने अनोखे तरीके के नाम अपनी चाय के रखे हैं ताकि लोग सुने तो आकर्षित हों। जैसे मम्मी के हाथ की चाय, मोहब्बत वाली चाय, उधार वाली चाय और तकरार वाली चाय सरीखे कई नाम रखे हैं। लेकिन यह सिर्फ चाय के नाम नहीं हैं बल्कि इनका स्वाद भी उनके नाम के अनुसार ही है। जगदीश बताते हैं कि कुछ सीक्रेट मसाले उन्होंने तैयार किए हैं जो वो डालते हैं और उसी से चाय का स्वाद निखरकर आता है। जगदीश कहते हैं कि उनके पास प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली चाय भी है जिसमें कई तरह की खास आयुर्वेदिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। और जब से कोरोना महामारी आई उन्होंने इस दिशा में और बेहतर करने के बारे में सोचना तेज कर दिया है।
क्या है सक्सेस मंत्र
जगदीश कुमार बताते हैं कि सबसे पहले तो उन्होंने नोएडा में आफिस के बाहर ही चाय की दुकान लगाना शुरू किया। जब लोगों ने चाय को पसंद किया तो फिर अपनी दुकान में एनआरआइ चायवाला नाम का बैनर टांग दिया। जब लोगों ने बैनर पर नाम पढ़ा तो उनकी दिलचस्पी और जगी और वे दुकान तक पहुंचे। इसके बाद बाद उन्होंने चाय को नाम से बेचना शुरू किया। उनकी चाय की दुकान में इंफोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियों के कर्मचारी हैं जो दिन भर दुकान में जुटे रहते हैं। जगदीश कहते हैं कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता। प्रधानमंत्री ने भी चाय बेची है और उन्हीं की प्रेरणा से इस दिशा में आगे बढ़ा। बताते हैं कि शुरूआत चाहे छोटी से करें या बड़ी से लेकिन उसमें अपना सौ फीसद देने की कोशिश करें और ग्राहकों के दिल की बात को जरूर समझें।
GB Singh
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