जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से अधिक समय तक अलगाववादी मुहिम का नेतृत्व करने वाले एवं पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार रात उनके आवास पर निधन हो गया. जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट करके जानकारी दी. वह 91 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं. उन्होंने 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद दोबारा विवाह कर लिया था.
उल्लेखनीय है कि गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे। उनका जन्म 29 सितंबर 1929 को सोपोर में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई लाहौर से करने के बाद राजनीति में कदम रखा और 3 बार सोपोर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए.
उन्होंने कभी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं माना. सन् 1990 में उन्होंने अलगाववाद की राजनीति करने वालों के लिए एक मंच तैयार किया और उसका नाम ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कर लिया. इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के विरुद्ध तमाम गुट शामिल हो गए.
गिलानी पर अक्सर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे. उनके विरुद्ध कई केस भी हुए. NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जाँच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ हुई थी.
आज उनके इंतकाल के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया है और पाकिस्तान में एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया. साथ ही साथ जहरीला बयान देने से बाज नहीं आए. उन्होंने लिखा, “कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के इंतकाल की खबर सुनकर बहुत दुखी हूँ. गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे. भारत ने उन्हें कैद करके रखा और प्रताड़ित किया.”
उन्होंने गिलानी को ‘पाकिस्तानी’ बताते हुए ऐलान किया कि वो गिलानी की मौत का शोक मनाएँगे. उन्होंने लिखा, “हम पाकिस्तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्दों को याद करते हैं- हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है. पाकिस्तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएँगे।”
इसी तरह पाकिस्तान के जनरल कमर जावेद बाजवा ने अलगाववादी नेता को ‘आइकन’ कहा और उनके निधन पर ‘गहरा दुख’ व्यक्त किया. मालूम हो कि साल 2020 में पाकिस्तान ने उन्हें निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा था. इसके साथ गिलानी की मौत के बाद पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर भी मातम छा गया है. गिलानी के कट्टरपंथी विचारधारा के समर्थक उन्हें महान नेता तक करार दे रहे हैं.
सैयद अली शाह गिलानी की भूमिका घाटी से कश्मीरी पंडितों को बेदखल करने में भी रही थी. बताया जाता है, कि उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन ISIS की मदद से घाटी में आतंवाद को भी बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाई थी.