लखनऊ: कई लोगों का यह मानना है कि सेक्स सिर्फ पीढ़ी आगे बढ़ाने का जरिया है। जबकि आयुर्वेद की मानें तो सेक्स का दूसरा काम हमें गहराई तक पोषित करना भी है। आयुर्वेद में अलग- अलग वक्त पर सेक्स करने के अलग मतलब और इसके फायदे और नुकसान बताए गए हैं। आयुर्वेद में बताई गईं सेक्स की आदर्श पोजिशनए समय और भी बहुत काम की बातें हम आपको बताते हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक खाली पेट या भारी खाने के बाद सेक्स करने से वात का बैलेंस बिगड़ सकता है। इससे डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं, सिरदर्द और गैस्ट्रिक हो सकता है। सेक्स से पहले हल्का खाना खाएं। आयुर्वेद के मुताबिक माना जाता है कि आदर्श सेक्स पोजिशन वह है जिसमें महिला पीठ के बल मुंह ऊपर की ओर करके लेटे।
आयुर्वेद में माना जाता है कि सुबह 6 बजे से 8 बजे के दौरान पुरुष सबसे ज्यादा उत्तेजित होते हैं हालांकि इस दौरान महिलाएं नींद में होती हैं और उनके शरीर का तापमान कम होता है। इसलिए इस वक्त सेक्स पुरुषों के लिए तो बढिय़ा रहता है लेकिन महिलाओं इस वक्त सेक्स ज्यादा एंजॉय नहीं करतीं। माना जाता है कि सुबह 8 से 10 के वक्त महिलाएं उत्तेजित होती हैं लेकिन पुरुषों का टेस्टोस्टेरॉन लेवल सामान्य होता है लिहाजा वे सेक्स के बजाए बढिय़ा ब्रेकफस्ट की तलाश में हो सकते हैं।
आयुर्वेद की मानें तो दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान महिलाओं का रिप्रोडक्टिव सिस्टम काफी सक्रिय होता है तो अगर कंसीव करना चाहते हैं तो यह वक्त सही है। आयुर्वेद के हिसाब से कहीं.कहीं यह भी लिखा पाया गया है कि सेक्स से शरीर में वात दोष बढ़ता है इसलिए सूरज निकलने के बाद से सुबह 10 बजे तक का समय सेक्स के लिए बेस्ट होता है।
हालांकि भाग.दौड़ वाली लाइफ स्टाइल को देखते हुए यह संभव नहीं तो हल्के डिनर के बाद रात 8 बजे से 10 बजे तक का समय सेक्स के लिए अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक सेक्स के लिए सर्दी और वसंत ऋतु की शुरुआत सही मौसम माने जाते हैं। गर्मी और पतझड़ के समय वात बढ़ जाता है इसलिए हमें सेक्स और ऑर्गैज्म की फ्रीक्वेंसी कम कर देनी चाहिए। (सभार-एनबीटी)