शनिदेव को क्यों कहा गया है कर्म फल देवता, जानिए रहस्य

शनि देव को कर्मफल देवता कहा गया है क्योंकि शनिदेव एकमात्र ऐसे देवता है जो कर्म के आधार पर ही मनुष्य को फल देते हैं। एक बार सूर्यपुत्र शनिदेव और स्वयं शनि देव में किसी बात को लेकर अनबन हो गई। सनी देव भगवान न्याय के देवता है और कर्मों के अनुसार यह न्याय करते हैं कभी भी अपने भक्तों के साथ अन्याय नहीं करते। स्वयं अपने पिता को शनि देव कर्मफल के अनुसार उन्हें दंड भी दिया था। इसलिए शनि देव को मित्र शत्रु भी कहा गया है।

एक बार की बात है जब देवी माता लक्ष्मी ने शनिदेव से पूछा कि वह अपने भक्तों को धनवान बनाती है और आप उसे निर्धन क्यों कर देते हैं तपेश्वर माता लक्ष्मी के सवाल का जवाब देते हुए श्री शनिदेव भगवान ने कहा था कि हम आते हम किसी को निर्धन नहीं करते बल्कि आपके दिए हुए धन का जो लोग दुरुपयोग करते हैं या उसका सही से उपयोग नहीं करते उस व्यक्ति को हम अनुशासन के साथ ही धन का प्रयोग करना सिखाते हैं और यही कारण है जबरदस्ती राजा से रंग बनता है तभी अपने दिलों का याद रखता है और स्मरण करता है कि उसने कहा गलती की है।

 

शनि देव हमेशा अपने भक्तों पर कृपा लगते हैं और जिस राशि पर शनि देव की कृपा हो जाती है वह राशि मालामाल हो जाती है। वैसे मैं राशि चक्र में मौजूद 12 राशियों पर शनि देव की कृपा रहती है और उनकी नजर रहती है और कर्म के हिसाब से उसी राशि को दंड भी देते हैं और फल भी देते हैं। इसलिए शनि देव को कर्मफल देवता कहा गया है इसके साथ ही उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है।

 

शनि देव नवग्रहों में से एक माने जाते हैं और मनुष्य के जीवन में सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं। शनि देव को मंदा कपिलाबक्सा और सॉरी के नाम से भी जानते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शनि देव मनुष्य के ऊपर चल रहे बुरे प्रभाव को भी कम करते हैं। मनुष्य शनि देव को नकारात्मक ग्रहों में गिरता है लेकिन यह धारणा गलत है शनि देव हमेशा सकारात्मक ग्रह माने जाते हैं और व्यक्ति के बुरे प्रभाव को भी कम करते हैं और कठिनाइयों के समय सनी देओल साथ देते हैं।

बता दे कि शनिदेव का प्रभाव कर्मों के अनुसार ही जातक पर पड़ता है और शनि देव को खुश करने के लिए भगवान शिव को खुश करना जरूरी होता है क्योंकि शनि देव भगवान भोलेनाथ के परम भक्त हैं।

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