मैं तुलसी तेरे आंगन की यह मूवी आपने देखी होगी क्या आप जानते हैं इस मूवी का आधार क्या था। इस फिल्म का नाम “मैं तुलसी तेरे आंगन की” जैसा कि नाम से ही यह दृश्य स्पष्ट हो जाता है कि तुलसी का पौधा आंगन की शोभा होता है। जिस आंगन में तुलसी का पौधा नहीं होता वहां रौनक भी नहीं होती।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वृंदा का विवाह एक राक्षस के साथ हो जाता है जिस का नाश करने के लिए भगवान श्री हरि ने वृंदा का पतिव्रत धर्म को तोड़ा था और उस धर्म को तोड़ने के बाद वृंदा नहीं श्री हरि को अभिशाप दिया की वह पत्थर का रूप धारण कर ले और उससे पहले वृंदा को उसके पति व्रत टूटने के पश्चात जब उसके पति ने वृंदा को अभिशाप दिया था कि वह तुलसी का पौधा बन जाए तब से लेकर तभी वृंदा और शालिग्राम का विवाह हुआ था और वह आंगन की शोभा बन गए।
श्री हरि की भक्त थी वृंदा
पौराणिक कथा में आपने सुना जरूर होगा कि जब वृंदा श्रीहरि से विवाह करना चाहती थी तो भगवान विष्णु ने कहा था कि उससे पहले उसे किसी मानव से विवाह करना होगा और उसे गृहस्थ जीवन बिताना होगा तभी उसका विवाह श्रीहरि से संभव होगा लेकिन वृंदा प्रभु विष्णु के अलावा किसी और की पत्नी बनना स्वीकार नहीं कर रही थी आखिरकार उसे यह विवाह करना पड़ा और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए श्री हरि का इंतजार किया। तब श्री हरि भगवान विष्णु ने वृंदा का ब्रम्हचर्य तोड़ते हुए उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
आंगन में हो तुलसी तो माना जाता है सब
घर के आंगन में तुलसी का वृक्ष जरूर होना चाहिए। तुलसी का पौधा जिस घर के आंगन में होता है वहां पर हमेशा लक्ष्मी जी का वास होता है उस घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती और वह व्यक्ति सदैव धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की भी कृपा उस व्यक्ति पर उस घर पर सदैव बनी रहती है।
तुलसी का पौधा है बड़े काम का
पूजा पाठ में तुलसी के पत्ते का प्रयोग किया जाता है जब भी घर में या मंदिर में सत्यनारायण व्रत की कथा कही जाती है तो श्री हरि के पंचामृत में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं जिससे पूजा पूर्ण मानी जाती है। सेहत के लिहाज से भी तुलसी के पत्ते बेहद फायदेमंद होते हैं। कफ खांसी जुकाम और बुखार में भी तुलसी का काढ़ा पीने से राहत मिलती है। ऋषि मुनि भी तुलसी के पत्ते से औषधि तैयार किया करते थे।