हिंदू धर्म में स्नान और दान का बहुत महत्व है। हर माह पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के अलावा कई अन्य ऐसे त्योहार और व्रत पड़ते हैं जिसमें बिना दान का कोई महत्व ही नहीं है। बाकी इन तीनों विशेष दिनों में तो लोग दान करते ही हैं। महाबलि राजा ने भी दान देने में कोई संकोच नहीं किया था। ऐसे में दान को लेकर यह भी समझना आवश्यक है कि किन चीजों को दान स्वरूप देना चाहिए और किन चीजों को नहीं। ज्योतिषशास्त्र इस पर प्रकाश भी डालता है। आइए जानते हैं।

नियमों को ध्यान में रखना जरूरी
वैसे तो सातों दिनों में कोई न कोई दिन ऐसा है ही जिसमें किसी न किसी देवता को विशेष तौर पर याद करके लोग पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। उसके बाद दान भी करते हैं। दान से कहा जाता है कि सभी तरह के कष्ट तो दूर होते ही हैं साथ ही भगवान की कृपा भी बनी रहती है। पूर्वज भी दान से काफी प्रसन्न होते हैं। दान देते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए इससे दान और अधिक लाभदायक साबित होता है।
क्या दें और क्या न दें
दान में कुछ चीजों को बिल्कुल नहीं देना चाहिए। इसके लिए शास्त्रों में मना किया गया है। इससे कष्ट बढ़ता है और सुखी जीवन में भी कलह बढ़ती है। कहा जाता है कि स्टील के बर्तनों को नहीं दान में देना चाहिए। अगर बर्तन देना है तो जानकारी कर तांबे का बर्तन दें। या फिर सोने या चांदी का भी बर्तन दे सकते हैं। बासी रोटी भी कभी किसी को न दें। भूखे को अगर दान में देना है तो ताजी बनी हुई ही रोटी दें और साथ में कुछ मीठा खाने को दें। दान में अगर आप किसी कोई पुस्तक, कापी या फिर ग्रंथ दे रहे हैं तो यह अच्छा है लेकिन यह फटा न हो। इससे दिक्कत बढ़ती है।
GB Singh
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