ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले व्रत त्योहारों का अलग ही महत्व है। वैसे तो इस मास में कई सारे प्रमुक त्योहार और व्रत पड़ रहे हैं जिनका हिंदू धर्म में खास स्थान है। लेकिन इस माह पड़ने वाली अमावस्या का अलग ही महत्व होगा। यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है। इसलिए यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी। इस दिन व्रत और पूजा की विधि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा कुछ कार्य वर्जित होते हैं जो नहीं करने चाहिए। आइए जानते हैं।
साल की इकलौती सोमवती अमावस्या
हर माह अमावस्या हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग के हिसाब से पड़ती है। अमावस्या के दिन पूजा का अलग स्थान है। इस दिन पूजा करने से पितरों को भी शांति मिलती है। इस दिन तर्पण भी करने से काफी अच्छा माना जाता है। पितृ दोष दूर करने के लिए अमावस को सही दिन माना जाता है। इस बार 30 मई को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। बताया जा रहा है कि यह साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है। इसके बाद साल भर कोई सोमवती अमावस्या नहीं होगी। इस दिन माता पार्वती और शिव का व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं और पूजा करती हैं।
व्रत में वर्जित
सोमवती अमावस्या का व्रत वैसे तो सुहागिन महिलाएं ही रखती हैं। वे इस व्रत में अपना सौभाग्य मांगती हैं और पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो वर्जित होते हैं, उनको नहीं करना चाहिए। जैसे किसी का अनादर न करें और किसी से कटु वचन न बोलें। पीपल के पेड़ की पूजा सोमवती अमावस्या पर करें लेकिन हाथ से पेड़ को न छुएं। सुबह जल्दी उठें देर तक न सोएं। तामसिक चीजें न खाएं और न ही मदिरा का सेवन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और बाल व नाखून न काटें।
GB Singh