लखनऊ: राजनीति का मैदान एक ऐसा मैदान होता है, जहां कौन दुश्मन है और कौन दोस्त यह तय कर पाना आसान नहीं होता है। कभी-कभी कटर विरोधी पर समय और जरुरत की मांग को देखते हुए एक दूसरे के साथ हो जाते हैं। राजनीति में इस तरह के मोड़ तो हम सभी न देखे और सुन होंगे कि दोस्ती दुश्मनी और दुश्मनी दोस्ती में बदल गयी, पर राजनीति में रिश्तों को लेकर चल रही जंग कम ही देखने को मिलती है।
कुछ ऐसी ही कशमाकश से इस वक्त यूपी की राजनीति के कद्दावर नेता और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव गुजर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव किसकी तरफ हैं , इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। बुधवार को मुलायम सिंह यादव पार्टी मुख्यालय पहुंचे और युवा कार्यकर्ताओं से बात की।
इसके पांच दिन पहले मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी के विरोधी और अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ मंच पर नजर आए थे। मुलायम का कभी शिवपाल की तरफ से बोलना तो कभी अपने बेटे और एसपी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ होना रहस्यमयी हो गया है। मुलायम सिंह यादव पार्टी मुख्यालय में जिस समय कार्यकर्ताओं के साथ बात कर रहे थे उसी समय शिवपाल अपने नए मिले सरकारी बंगले में गृह प्रवेश कर रहे थे।
मुलायम ने युवा कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर चुनाव जीतना है तो बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करें। इसके साथ ही एसपी के वरिष्ठ नेता बेनी प्रसाद वर्मा के भाई की मौत पर शोक भी मनाया गया। शिवपाल के एसपी से अलग होकर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाए जाने के बाद से मुलायम का पार्टी मुख्यालय में यह तीसरा दौरा था। इससे पहले मुलायम दिल्ली में हुई पार्टी की साइकल यात्रा में भी हिस्सा लेने पहुंचे थे।
मुलायम न तो शिवपाल के बयान का सार्वजनिक तौर पर समर्थन कर रहे हैं और न ही उन्होंने यह घोषणा की है कि वह अपने बेटे अखिलेश की तरफ है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी के नेताओं को इस मामले में कुछ भी बोलने की मनाही की गई है।
राजनीति के जानकार बताते हैं कि मुलायम सिंह का रूख समझ पाना आसान काम नहीं है। वह राजनीति के बड़े धुरंधर हैं। उनकी हर कदम बेहद सोचा और समझा होता है। जैसे-जैसे 2019 लोकसभा का चुनाव करीब आता जायेगा वैसे मुलायम, अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों को लेकर चल रही गरमाहद और भी तेजी हो गयी। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा कि मुलायम सिंह बेटा या फिर भाई का साथ चुनाव में देंगे।