क्या है पत्र में…
‘दोस्तों, आप उस रसूल-ए-पाक के उम्मत के फर्द (सदस्य) हैं जिसके रसूल-ए-पाक जिस रास्ते से गुजरते थे, उस रास्ते पर रहने वाली एक बूढ़ी महिला रसूल पर गंदगी डाल देती थी। रसूल उसे झाड़कर निकल जाते थे। यह सिलसिला रोज का था। एक दिन उस महिला ने रसूल पर गंदगी नहीं फेंकी तो रसूल वहीं रुक गए और उस औरत के बारे में जानकारी हासिल की। पता चला कि वह बीमार है। रसूल इजाजत लेकर उस महिला के घर में गए और उसका हालचाल पूछा। महिला ने देखा कि यह वही शख्स है जिस पर वह गंदगी फेंकती थी। उसे लगा कि मुहम्मद साहब बदला लेने आए हैं, लेकिन जब मुहम्मद साहब ने उसका मिजाज पुर्सी की बात की और उसके इलाज का जिक्र किया तो महिला के आंखों में आंसू आ गए। महिला यहूदी थी, वह मुहम्मद साहब के इस मधुर व्यवहार को देखकर रो पड़ी और पैरों पर सिर रख दिया और ईमान ले आई।’
SSP की मुसलमानों से अपील: ‘आग से आग नहीं बुझती, किसी से गलती हो तो सब्र से काम लें’
‘आप लोग उस उम्मत के सदस्य हैं जिसके पैगंबर का किरदार देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाया करता था। आग से आग बुझाने की कोशिश न करें। आग बुझाने के लिए पानी की जरूरत होती है। अगर किसी बच्चे या बड़े से नासमझी हो जाए तो सब्र और धीरज से काम लेकर होली के मौके पर जिले में अमनो-अमान कायम रखें।’ मुजफ्फरनगर जिले के मुसलमानों से यह अपील की है वहां के एसएसपी अनन्त देव ने।
इस बार होली का त्यौहार शुक्रवार को है। मुस्लिम समुदाय इस दिन बड़ी संख्या में मस्जिदों में इकट्ठा होकर जुमे की नमाज अदा करते हैं। कई बार मस्जिदों पर रंग पड़ने की वजह से बवाल होता है और कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की नौबत आ जाती है। अनन्त देव ने पत्र लिखकर उनसे अपने पैगंबर की सुन्नत पर अमल करने की अपील की है। उन्होंने मुहम्मद साहब की ही सहनशीलता और उदारता की एक घटना का जिक्र करते हुए यह पत्र लिखा है।
बच्चे या बड़ों की नासमझी को करें नजरंदाज…