कहते हैं हर दिन की अगर सही शुरुआत करनी हो तो सुबह जल्दी उठकर सूर्य की रौशनी को जरूर देखना चाहिए. बहुत से लोगों का मानना है की अगर आपको अपनी लाइफ में हर काम में सफलता चाहिए तो सुबह उगते सूरज को जरूर देखना चाहिए. सूर्य भगवान को जल चढ़ाना भी बहुत ही पुरानी परंपरा है, लेकिन सवाल ये हैं कि सूर्य देव को अर्ध्य क्यों दिया जाता है? सूर्य देव अलग-अलग आवर्तियां उत्पन्न करते हैं. सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार हैं. मनुष्य सूर्य के जितने ज्यादा संपर्क में रहेगा, उतना ही स्वस्थ रहेगा.
प्राकृतिक चीजें हमारे लिए वरदान हैं. जैसे- नेचुरल हवा, जल, पेड़-पौधे, चन्द्रमा और सूर्य. जिन लोगों का घर काफी हवादार होता है. पड़े-पौधे लगे रहते हैं, सूर्य का प्रकाश आता है वो लोग सदा खुश रहते हैं और बहुत कम बीमार पड़ते हैं. वहीं जो लोग अपने घरों को चारों तरफ से खिड़कियों से बंद करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर के अंदर प्रवेश नहीं करने देते, वो लोग सदा ही रोगी बने रहते हैं.
सूर्य अपनी किरणों के जरिए कई तरह के आवश्यक तत्वों को भी हम सब को प्रदान करते हैं और उन तत्वों को शरीर में ग्रहण करने से कई रोग भी दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में-
वेदों में लिखा है-
सूर्य की रोग नाशक शक्तियों के बारे में अथर्ववेद के एक मंत्र में ये स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सूर्य औषधि बनाता है. विश्व में प्राण रूप है और इसकी किरणें जीवों का स्वास्थ्य ठीक रखता है. वेद में लिखा है सूर्योदय के समय सूर्य की लाल किरणों के प्रकाश में खुले शरीर बैठने से ह्रदय रोगों और पीलिया में फायदा मिलता है. प्राकृतिक चिकित्सा में आंतरिक रोगों को ठीक करने के लिए भी खुले बदन सूर्य स्नान कराया जाता है. इनके अलावा आजकल जो भी बच्चे जन्म लेते हैं और पीलिया के शिकार हो जाते हैं, उन्हें सूर्य की किरणों को दिखाया जाता है जिससे अल्ट्रा वायलेट किरणों के संपर्क में आने से उनके शरीर के पिगमेंट सेल्स पर रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है.
सूर्य की किरणों के रंग करते ये बिमारी दूर
लाल रंग- ये ज्वर, दमा, खांसी, मलेरिया, सर्दी, जुकाम, सिर दर्द और पेट संबंधी सभी बीमारियों में लाभकारक है.
हरा रंग- ये स्नायुरोग, नाड़ी के रोग, लिवर रोग, श्वास रोग आदि को दूर करने में सहायक है.
पीला रंग- ये चोट, घाव, रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, दिल के रोग, अतिसार आदि को दूर करने में सहायक है.
नीला रंग- ये रंग दाह, अपच, मधुमेह जैसी बीमारियों में लाभकारी है.
बैंगनी रंग- श्वास रोग, खांसी, सर्दी, मिर्गी और दांतों के रोग में सहायक है.
नारंगी रंग- ये रंग वात रोग, अम्लपित्त, अनिद्रा, कान के रोग को दूर करता है.
आसमानी रंग– ये रंग स्नायु रोग, यौन रोग, सिरदर्द, सर्दी और जुकाम में काम करता है.
By- कविता सक्सेना श्रीवास्तव
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