नई दिल्ली: लोग अपने घरों में बिजली की बचत करने के लिए एलईडी बल्क का प्रयोग करते हैं। अनब्राण्डेड एलईडी बल्ब से बिजली तो बच जाती है , पर शायद आपकी सहत पर इन बल्ब का गलत असर पड़ा है। बात सुनने में चौकाने वाली है, पर एक सर्वे ने यह बात निकल कर सामने आयी है।
चालिए आपको बताते हैं कि क्या है पूरा सर्वे। सर्वे में कहा गया है कि भारत में बिकने वाले 76 फीसदी एलईडी बल्ब को लगाना खतरे से खाली नहीं है। इससे आपके परिवार को स्वास्थ्य संबंधी शिकायत हो सकती है। नीलसन द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसारए देश भर में बिकने वाले तीन चौथाई से अधिक एलईडी बल्ब सरकार की तरफ से जारी ग्राहक सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इससे लोगों की जान का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
एलईडी बल्ब से निकलने वाली गैस कई लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ रही है। सर्वे में देश भर के 200 से अधिक रिटेल आउटलेट्स पर मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद और दिल्ली में किए गए सर्वे के अनुसार ज्यादातर बल्ब मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल राजधानी दिल्ली में है जहां पर ऐसे बल्ब बड़ी संख्या में बिकते हैं जो कि मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
नॉन ब्रांडेड एलईडी बल्ब का बिकने से सरकार के मेक इन इंडिया को झटका लग रहा है क्योंकि सस्ते बल्ब के बिकने से आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। भारतीय मानक ब्यूरो ने अगस्त में एलईडी बल्ब बनाने वाली सभी कंपनियों को आदेश दिया था कि वो अपने उत्पाद को ब्यूरो के साथ रजिस्टर करें ताकि उनका सेफ्टी चेक किया जा सके।
देश भर में चीन से चोर रास्ते से मंगाए गए सस्ते बल्ब ज्यादा बिक रहे हैं। चीन में बने एलईडी बल्ब सबसे ज्यादा हानिकारक हैं क्योंकि इनके उत्पादन में किसी प्रकार के मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है। इससे सरकार को टैक्स भी नहीं मिलता है। सर्वे में पता चला है कि 48 फीसदी बल्ब में बनाने वाली कंपनी का पता नहीं था। तो 31 फीसदी में बल्ब बनाने वाली कंपनी का नाम ही नहीं था।