अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (UN) संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने की मांग की है. इसकी पुष्टि तालिबान के प्रवक्ता तारिक गजनीवाल ने एबीपी न्यूज़ से की है. तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र की प्रत्यायन समिति को इस संबंध में बाकायदे चिट्टठी लिखी है. हालांकि UNGA के दौरान सालाना होने वाली सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक तालिबान के प्रतिनिधित्व के सवाल पर रद्द कर दी गई है.
तालिबान ने यूएन में सुहैल शाहीन को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया
तालिबान ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में चल रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने और तालिबान सरकार को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता दिए जाने की भी मांग की है. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में तारिक गजनीवाल ने कहा है कि हमने यूएन में सुहैल शाहीन को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है. तारिक गजनीवाल ने कहा कि 100 फीसदी अफगानिस्तान पर अब तालिबान की हुकूमत है. अब यूएन के सामने इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है.
तालिबानी सरकार के कैबिनेट विस्तार को बनाया गया व्यापक- प्रवक्ता
गौरतलब है कि चंद दिनों पहले ही संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की पूर्व गनी सरकार के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र से मांग की थी कि तालिबान सरकार लोकतांत्रिक और व्यापक नहीं है, लिहाज़ा उसे मान्यता ना दी जाए. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में तालिबानी प्रवक्ता ने यह दावा भी किया कि एक दिन पहले ही किए गए तालिबानी सरकार के कैबिनेट विस्तार में सरकार को व्यापक बनाया गया है और ताजिक समेत दूसरे पक्षों को भी शामिल किया गया है.
सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान सालाना होने वाली सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को भी तालिबानी प्रतिनिधित्व के सवाल पर रद्द कर दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक़ पाकिस्तान ने अभी SAARC की अध्यक्षता कर रहे नेपाल के सामने शर्त रखी थी कि अफगानिस्तान की पिछली सरकार के प्रतिनिधि को बैठक में शामिल ना होने दिया जाए और नए तालिबानी सरकार के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए, जिसपर सदस्य देशों में सहमति नहीं बनी तो इस साल होने वाली बैठक खो रद्द कर दिया गया.
इसकी जानकारी बाकायदा नेपाल सरकार और SAARC सचिवालय ने विज्ञप्ति जारी करके दी है. हालांकि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके इन आरोपों को खारिज किया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि संयुक्त राष्ट्र तालिबान सरकार की इस मांग पर क्या और कितनी जल्दी कोई फैसला करता है.