जब कभी आप पूजा पाठ करने जाते हैं तो आप अपने मंदिर का विशेष तौर पर ध्यान देते है। लेकिन कभी-कभी आप मंदिर की दिशा को देना भूल जाते हैं या यूं कह की सही दिशा में आपका मंदिर नहीं होता है लेकिन आपका ध्यान इस पर नहीं जाता जिसका परिणाम कभी-कभी आप को सकारात्मक नहीं मिलते। मंदिर का सही दिशा में ना होने से कई सारे नकारात्मक प्रभाव आपके इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं कभी जीवन में टेंशन तनाव ऐसी स्थिति भी उभर कर सामने आती है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक मंदिर को हमेशा सही दिशा में ही स्थापित करना चाहिए गलत दिशा में मंदिर के स्थापना कई सारी समस्याओं से ग्रसित कर देता है इसका विशेष तौर पर ध्यान दें।
सेहत पर पड़ता है खराब असर
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मंदिर सही दिशा में स्थापित होना चाहिए। घर का मंदिर कभी भी अग्नेय है कोण में नहीं बनना चाहिए। आग्नेय कोण में बना मंदिर घर के मुखिया को है हार्ट अटैक संबंधित समस्या से जूझना पड़ जाता है। इसका असर कभी-कभी शरीर में रक्त की कमी को भी दर्शाता है।
वायव्य कोण में मंदिर
बात मंदिर के सही दिशा में स्थापना करने की हो रही है तो वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर को वायव्य कोण में नहीं स्थापित करना चाहिए क्योंकि इस दिशा में मंदिर की स्थापना करने से घर के सदस्य किसी भी नियमों का पालन नहीं कर पाते। सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी नहीं होता। इसके साथ ही इस दिशा में बना मंदिर समस्याओं और दिक्कतों को ही बुलावा देता है आमतौर पर पेट से संबंधित समस्या घर के सदस्यों को हो सकती है। यही नहीं अगर इस दिशा में मंदिर की स्थापना हुई है तो जातक की वाणी में मधुरता नहीं आती हमेशा झगड़े के मूड में ही व्यक्ति बना रहता है।
इस दिशा में बनाएं मंदिर
वास्तु शास्त्र कहता है कि सही दिशा में बना मंदिर सही परिणाम देता है इसके लिए जरूरी है सही दिशा का निर्धारण करना। वास्तु शास्त्र के मुताबिक ईशान कोण में बना मंदिर अत्यंत शुभ कार्य होता है। मान्यता के अनुसार इस दिशा में मंदिर अगर बनना है तो घर के मुखिया के छोटे भाई बहन या बेटा बेटी कई विषयों के विद्वान होते हैं। इस दिशा को वास्तु शास्त्र में ब्रह्म स्थान भी बोला गया है अपितु इस दिशा में मंदिर होने से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहता है।