धर्म शास्त्रों में आपने कई सारे मंदिरों और स्थानों के बारे में सुना होगा और पढ़ा होगा और आज हम इसी बात पर जिक्र करने वाले हैं । आज हम ऐसे मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं जो सत्य घटना पर आधारित है। इस मंदिर का नाम है खेरेश्वर मंदिर।
खेरेश्वर मंदिर के बारे में आपने जरूर सुना होगा। यह कैसा मंदिर है जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। भगवान शिव का यह मंदिर धर्म शास्त्रों में व्याख्या है। माना जाता है कि भगवान शिव का लिंग यहां बने घने जंगल में एक गाय के दूध से अभिषेक होते हुए मिली थी।
भगवान शिव के अनेकों रूप है और यह मंदिर उन्हीं रूपों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर में आज भी अश्वत्थामा पहले पूजा करने आते हैं।
मंदिरों के पुजारी का भी कहना है कि जब भी वह मंदिर खोलते हैं तो भगवान शिव की पूजा हो चुकी होती है। सपने के माध्यम से अश्वत्थामा ने पुजारी को बताया था कि वह यहां पर पूजा करने आते हैं और इस बात की पुष्टि करने के लिए जब पुजारी जी ने सुबह 4:00 बजे तड़के मंदिर देखा तो भगवान शिव पर उस पर और जल अर्पित था जबकि रात की आरती के बाद भगवान भोलेनाथ के ऊपर से उसको को हटा दिया जाता है और साफ सफाई कर दी जाती है।
यह बात सत्य साबित हुई और भगवान शिव की प्रथम पूजा अश्वत्थामा ही करते हैं। अश्वत्थामा का मंदिर खेरेश्वर मंदिर के कुछ दूरी पर स्थित है।
कहां है यह मंदिर
खेरेश्वर का मंदिर कानपुर के 40 किलोमीटर दूरी पर शिवराजपुर क्षेत्र में खेरेश्वर बाबा का मंदिर बना हुआ है। यहां पर दूरदराज से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और भगवान शिव से मनोवांछित फल की प्राप्ति करते हैं।
बता दे कि जब यहां पर घना जंगल था तो एक चरवाहे को भगवान शिव की मूर्ति प्राप्त हुई थी। जबकि गाय भगवान शिव की मूर्ति के ऊपर अभिषेक कर रही थी।