काबूल: रविवार को पूर्वी अफगानिस्तान के नांगरहार राज्य की राजधानी जलालाबाद में सिख अल्पसंख्यकों के एक वाहन पर आत्मघाती हमलावर के बम से हमला किया। इस घटना में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई जिनमें स्थानीय सिख व हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोग शामिल हैं। मृतकों में सिख समुदाय के एक शीर्ष राजनीतिक नेता भी शामिल हैं। 20 घायलों में भी अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के ही हैं। हालांकि काबुल स्थित भारतीय दूतावास ने 10 सिख अल्पसंख्यकों की ही मौत की पुष्टि की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की निंदा करते हुए मृतकों के परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि हम रविवार को अफगानिस्तान में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करते हैं। यह अफगानिस्तान की बहुसांस्कृतिक संरचना पर हमला है। शोकग्रस्त परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।
मैं प्रार्थना करता हूं कि हमले में घायल लोग जल्द ठीक हो जाएं। अफगानिस्तान के इस दुख भरे क्षण में भारत उसके सहयोग के लिए तैयार है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी कड़ी निंदा की है। ये धमाका शहर के मध्य में राज्य के गवर्नर के आवास से थोड़ी दूर स्थित एक बाजार मुखाबेरात स्कवॉयर में हुआ जहां अधिकतर अफगानी अल्पसंख्यक सिखों व हिंदुओं की दुकानें हैं।
गवर्नर के प्रवक्ता अताउल्ला खोगयानी ने बताया कि बम इतना शक्तिशाली था कि धमाके में चारों तरफ की दुकानें व मकान ध्वस्त हो गए। राज्य के पुलिस चीफ गुलाम सनायी स्तेनकजाई ने बताया कि आत्मघाती हमलावर ने राष्ट्रपति से मिलने जा रहे सिख अल्पसंख्यकों के वाहन को निशाना बनाया।
धमाके की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है लेकिन जलालाबाद में पिछले कुछ सालों के दौरान इस्लामिक स्टेट आईएस के आतंकियों की उपस्थिति बढ़ी है। माना जा रहा है कि इस हमले में आगामी अक्टूबर में होने जा रहे देश के संसदीय चुनावों में उतरने की घोषणा कर चुके सिख समुदाय के नेता अवतार सिंह खालसा मुख्य निशाना थे जिनकी धमाके में मौत हो गई है।
अधिकारियों के अनुसार मृतकों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि राष्ट्रपति के दौरे के लिए शहर में यातायात को ब्लॉक नहीं किया गया था। राष्ट्रपति के सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि गनी एक अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए रविवार की सुबह जलालाबाद पहुंचे थे। ये उनके इस राज्य के दो दिवसीय दौरे के कार्यक्रम का एक हिस्सा था और धमाके के दौरान भी वे नांगरहार राज्य में ही मौजूद थे। लेकिन धमाके के समय वे खतरे से बेहद दूर थे।