Thagi: बाइक डीलरशिप दिलाने के नाम पर 9.71 लाख की ठगी!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में रहने वाले एक कारोबारी को हीरो बाइक की डीलरशिप दिलाने के नाम पर जालसालों ने 9.71 लाख रुपये की ठगी का अंजाम दिया। आरोपियों ने कारोबारी को डीलरशिप का फर्जी सर्टिफिकेट भी कारोबारी को भेज दिया। छानबीन करने पर कारोबारी को पता चला कि हीरो मोटर कार्प लिमिटेड के नाम पर उनके साथ धोखाधड़ी की गयी है। इस संबंध में कारोबारी ने जालसाजों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करायी है।


गोमतीनगर के विनीतखण्ड इलाके कारोबारी धर्मेन्द्र कुमार सिंह रहते हैं। बताया जाता है कि कुछ समय पहले उन्होंने हीरो बाइक की डीलरशिप के लिए गूगल पर सर्च किया था। इस पर उन्होंने एक वेबपेज पर डीलरशिप आवेदन संबंधित जानकारी मिली और आवेदन फार्म भी उस साइट पर था। धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने इंटरनेट पर ही उस आवेदन फार्म को भर कर लोड कर दिया।

चंद रोज पहले उनके पास दो अलग-अलग लोगों का फोन आया। दोनों ने अपना नाम आशुतोष और राठौर बताया और जानकारी दी कि उनका डीलरशिप का आवदेन स्वीकृत कर लिया गया है। धर्मेन्द्र कुमार ने जब दोनों नम्बरों को चेक किया तो दोनों नम्बर हीरो मोटर कार्प लिमिटेड और हीरो कम्पनी दिखा रहे थे। इस पर धर्मेन्द्र कुमार को यकीन हो गया कि फोन पर बातचीत करने वाले कम्पनी के लोग हैं।

सिक्योरिटी से लेकर सामान के नाम पर जमा कराये गये रुपये
पीडि़त धर्मेन्द्र कुमार का कहना है कि इसके बाद उनके पास एक ई-मेल आया। ई-मेल एक खाता नम्बर दिया गया था और सिक्योरिटी के नाम पर 2 लाख रुपये जमा करने की बात लिखी थी। धर्मेन्द्र कुमार ने आरटीजीएस के माध्यम से बताये गये बैंक खाते में रुपये जमा करा दिये। रुपये जमा कराने की रसीद भी उनको ई-मेल के माध्यम से मिली। इसके बाद फिर से धर्मेन्द्र कुमार के पास 5.43 लाख रुपये जमा कराने का मेल आया। इतनी बड़ी रकम जमा कराने से पहले धर्मेन्द्र कुमार ने एक बार फिर आशुतोष और राठौर से फोन पर बातचीत की। दोनों ने धर्मेन्द्र कुमार को विश्वास दिलाया। इसके बाद धर्मेन्द्र कुमार ने फिर से 5.43 लाख रुपये बताये गये खाते में जमा करा दिये गये। इस बार फिर उनको रुपये जमा कराने की रसीद मिली।

मेल से मिला डीलरशिप का सर्टिफिकेट
5.43 लाख रुपये जमा करने के बाद धर्मेन्द्र कुमार सिंह के पास जालसाजों ने ई-मेल के जरिय डीलरशिप का सॢटफिकेट भी भेज दिया। इसके बाद राठौर नाम के व्यक्ति ने फिर से धर्मेन्द्र कुमार सिंह से सम्पर्क किया। उसने कम्पनी का कुछ सामान भेजने के नाम पर धर्मेन्द्र कुमार से 2.28 लाख रुपये की मांग। इस पर धर्मेन्द्र कुमार ने फिर से बताये गये बैँक खाते में रुपये जमा करा दिये। इस बार धर्मेन्द्र कुमार को जमा कराये गये रुपये की कोई रसीद नहीं मिली। रसीद न मिलने पर धर्मेन्द्र कुमार सिंह को कुछ गड़बड़ लगी तो उन्होंने आशुतोष और राठौर को फोन मिला। दोनों के फोन बंद मिले। बस इस पर धर्मेन्द्र कुमार का माथा ठनक गया।

बैंक पहुंचने पर ठगी का पता चला
इसके बाद धर्मेन्द्र कुमार सीधे अपने बैंक पहुंचे और जिन दो खातों में उन्होंने अपने रुपये भेजे थे उसके बारे में जानकारी हासिल ली। बैंक से पता चला कि दोनों बैंक के खाते बिहार के हैं। एक खाता किसी सुशील खटवा नाम के व्यक्ति का था और दूसरा खाता धनेश्वर नाम के व्यक्ति का था।

गोमतीनगर पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट
अपने साथ हुई लाखों की इस ठगी के मामले में पीडि़त धर्मेन्द्र कुमार ने जालसाज आशुतोष, राठौर, सुशील खटवा और धनेश्वर के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आईटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करायी है।

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