ह्रदय रोग के जोखिमों के लिए कई कारण गिनाए जाते हैं। लेकिन एक नए शोध में पाया गया है पास-पड़ोस में यदि हरियाली हो तो हृदय रोगों का खतरा कम होता है। यह निष्कर्ष ईएससी कांग्रेस 2021 में प्रस्तुत किया गया है। शोध के लेखक यूनिवर्सिटी आफ मियामी के डाक्टर विलियम एटकेन ने बताया कि ज्यादा हरियाली समय के साथ हृदय की दशा सुधारने और स्ट्रोक का खतरा कम करता है। यदि हरियाली में बढ़ोतरी होती रहे तो यह सेहत के लिए और भी अच्छा साबित होता है।
उन्होंने बताया कि महज पांच साल के अध्ययन में पर्यावरण के सकारात्मक प्रभाव का उल्लेखनीय असर दिखाई दिया। पड़ोस और गलियों की हरियाली के तो कई फायदे बताए जाते रहे हैं, लेकिन यह अध्ययन इसकी पड़ताल के लिए किया गया कि क्या इसका संबंध ह्रदय रोग की दर से भी है। इसका भी अध्ययन किया गया कि स्थानीय स्तर पर ज्यादा पौधे लगाने के ह्रदय रोगों की दृष्टि से कितना फायदा है।
कैसे किया अध्ययन : अध्ययन में 2011 से 2016 तक मियामी के एक ही क्षेत्र में रहने वाले 65 साल या इससे ज्यादा उम्र वाले दो लाख 43 हजार 558 मेडिकेयर लाभार्थियों को शामिल किया गया। मेडिकेयर रिकार्ड का इस्तेमाल अध्ययन के पांच वर्षो के दौरान कार्डियोवस्कुलर की नई स्थिति जानने के लिए किया गया। इसमें हार्ट अटैक, दिल की अनियमित धड़कन, हार्ट फेल्यर, हाइपरटेंशन (बीपी) तथा स्ट्रोक जैसी समस्याओं पर गौर किया गया।
धरती की सतह से सूर्य के प्रकाश के परावर्तन की दृश्य और अदृश्य (इंफ्रारेड के करीब) मात्र का आकलन के लिए सेटेलाइट इमेज का भी इस्तेमाल किया गया।
पेड़-पौधों के क्लोरोफिल आमतौर पर दृश्य प्रकाश को सोख कर इंफ्रारेड के करीब वाले प्रकाश को परावर्तित करता है। इस तरह से यह आकलन वनस्पति की मात्र का संकेतक माना जाता है। इसके बाद शहर को हरियाली के आधार पर लो, मीडियम और हाई क्षेत्रों में बांटा गया। इसी के आधार पर अध्ययन में सहभागी लोगों को भी वर्गीकृत किया गया कि वे 2011 में कम, मध्यम या उच्च हरियाली वाले क्षेत्रों में से कहां रहते थे। यही प्रक्रिया 2015 में भी उन्हीं लोगों के संदर्भ में अपनाई गई।
इस दौरान मियामी-डैडे काउंटी पार्क में पौधारोपण कार्यक्रम भी चलाया गया, जिससे कि 2011 में जो लोग कम हरियाली वाले क्षेत्र में रहे होंगे, वे 2016 में उच्च हरियाली वाले क्षेत्र में आ गए।
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