फर्रूखाबाद के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 49 बच्चों की मौत से भावुक हुए क्रिकेटर गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया पर अपना दुख जाहिर किया है। दूसरी ओर इसी मामले को लेकर एक्टर और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को सवालों के घेरे पर खड़ा कर सरकार को बच्चों की मौत के लिए दोषी ठहराया है। Big Breaking: फ्लोप हो गयी लखनऊ मेट्रो रेल, ट्रैक पर अचानक हुई बंद, मचा हड़कम्प!
गौतम गंभीर ने ट्विटर पर लिखा कि गोरखपुर अभी हांफते हुए सांस लेने की कोशिश ही कर रहा था कि फर्रुखाबाद में मानवता का दम घुट गया।
फर्रुखाबाद लोहिया हॉस्पिटल में बच्चों की मौत का मामला
जांच के बाद पत्रकारों से निदेशक डॉ. रुकुमकेश ने बताया कि 21 जुलाई से 20 अगस्त के बीच अस्पताल में 468 बच्चे आए थे। इनमें 66 बच्चों को भर्ती किया गया, जिनमें छह की मौत हुई। 145 बच्चे अन्य अस्पतालों से आए। इसमें 24 की मौत हो गई। बाहर से आने वाले बच्चों की हालत पहले से ही नाजुक थी।
इसके अलावा 19 बच्चों की गर्भावस्था में मौत हुई। निदेशक ने एसएनसीयू में व्यवस्था पर संतोष जताया। कहा कि चार डॉक्टरों की तैनाती के एवज में एक डॉक्टर कैलाश काम कर रहे हैं। इसके बावजूद उपचार की व्यवस्था सही है। उन्होंने बताया कि वार्ड में काफी साफ सफाई मिली। वहां जो भी उपकरण हैं, वह सही है। हालांकि टीम ने स्टाफ की कमी को स्वीकार किया।
इसके बाद टीम ने बच्चों के रिकॉर्ड मंगवाकर चेक किया। करीब एक घंटे तक बंद कमरे में चली जांच के बाद टीम वहां से महिला अस्पताल के लेबर रूम के बाहर पहुंची। यहां मौजूद स्टाफ से गर्भवती महिलाओं के बारे में जानकारी ली।
टीम ने डॉ. कृष्णा बोस से लेबर रूम को चेक करने की बात कही तो बताया गया कि अंदर महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है। लेबर रूम में आक्सीजन सिलेंडर के बारे में जानकारी लेने पर बताया गया कि यहां चार गैस सिलेंडर रहते हैं। आक्सीजन उपलब्ध है। इसके बाद टीम एसएनसीयू वार्ड में पहुंची। यहां भर्ती बच्चों को देखा और उनके इलाज के बारे में जानकारी की। इसके बाद टीम फिर सीएमएस कक्ष में पहुंची और कई लोगों से पूछताछ की।
नवजात शिशुओं की मौत के प्रकरण की जांच तत्कालीन जिलाधिकारी रवींद्र कुमार के आदेश पर नगर मजिस्ट्रेट जैनेंद्र कुमार जैन ने की थी। अपनी रिपोर्ट में कहा था कि छह माह में भर्ती होकर उपचारित हुए शिशुओ में मृत शिशुओं का विवरण जिलाधिकारी ने मांगा था, जिसको सीएमओे और सीएमएस ने समुचित उपलब्ध नहीं कराया। डीएम ने 30 अगस्त को टीम का गठन किया। इसमें सीएमओ और सीएमएस के साथ जांच करने के आदेश दिए थे। तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी।
मृत शिशुओं की मां व परिवारीजनों ने फोन से हुई वार्ता में बताया कि समय पर डॉक्टरों ने आक्सीजन की नली नहीं लगाई और कोई दवा भी नहीं दी। इससे स्पष्ट होता है कि शिशुओं की मौत पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन न मिलने के कारण हुई है। दूरभाष से मृतकों के परिजनोें से बात कर पूरी की गई जांच को प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने गलत ठहराया है। मजिस्ट्रेटी जांच पर सवाल उठने के संबंध में मंगलवार को नगर मजिस्ट्रेट जैनेंद्र कुमार जैन से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि अब जांच शुरू हो गई है। इस कारण वह अब इस प्रकरण में कुछ भी नहीं कह सकते हैं। विस्तृत जांच के बाद मामला साफ होगा।
पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाएगी। वह दो गांवों में पीड़ितों से मिलने के बाद एक होटल में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योगी कभी आरएसएस के सम्मेलन में जाते हैं तो कभी बीमार मित्र को देखने हवाई जहाज से जाते हैं, लेकिन बुलंदशहर में आग से जले बच्चों को देखने नहीं जाते। गोरखपुर के बाद फर्रुखाबाद में आक्सीजन की कमी से बच्चे मर रहे हैं। पीएम युवाओं को लेकर भाषण तो देते हैं पर मासूमों की मौत पर चुप हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार गोरखपुर के बाद फर्रुखाबाद में चिकित्सकों को सस्पेंड करने की तैयारी कर रही है क्योंकि उसका उद्देश्य बच्चों को नहीं बल्कि मंत्रियों व अधिकारियों को बचाना है। उन्होंने कहा कि लोहिया में पांच जिलों के रोजाना 2500 से 3000 मरीज आते हैं। यहां 30 से 35 डॉक्टर होने चाहिए पर केवल 11 डॉक्टर तैनात हैं। दो डॉक्टर रिटायरमेंट के बाद सेवाएं दे रहे हैं। एक बाहर से आते हैं। इस तरह 14 के भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं हैं। यह देशव्यापी मुद्दा है। कांग्रेसी सरकारी अस्पतालों में जाएंगे और पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे।
प्रदेश अध्यक्ष ने जनरल वार्ड एफ-वन में भर्ती मरीज रामू निवासी गिरधरपुर हरदोई से दवा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि दवा और उपचार ठीक मिल रहा है। राज बब्बर बच्चों के एसएनसीयू वार्ड में गए और बाहर से ही यहां तैनात चिकित्सीय स्टाफ से बच्चों के उपचार के बारे में जानकारी ली। उन्होंने पीडियाट्रिक वार्ड एफ-13 में भी जाकर मरीजों का हालचाल लिया।
सीएमएस डॉ. अखिलेश अग्रवाल से राज बब्बर ने बच्चों की मौत के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा। इस दौरान सीएमएस कई बार हड़बड़ाए। इस पर राज बब्बर ने कहा कि यह उनकी गलती नहीं है। जब अस्पताल में चिकित्सक ही नहीं हैं तो बच्चों का इलाज कैसे हो। एसएनसीयू में चार डॉक्टरों की जरूरत है और एक ही चिकित्सक मौजूद है तो अव्यवस्था होना लाजिमी है।
प्रदेश सरकार इस मामले में लीपापोती का इंतजाम करने में लगी है लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिमा सिंह ने कहा कि इस मामले से राष्ट्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया गया है। कांग्रेस के सक्रिय होने के बाद ही सरकार ने जांच के लिए लखनऊ से टीम भेजी है।
इस मामले में दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। विधायक अनुराधा मिश्रा ने कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि सिटी मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट सही है या जो सरकार बोल रही है वह सही है। कांग्रेस पीड़ितों के साथ है। सरकार बताए कि गोरखपुर, फर्रुखाबाद की तरह अन्य जगह बच्चों की मौतें न हों इसके लिए क्या योजनाएं हैं? कांग्रेसी नेता दीपक सिंह ने कहा कि योगी सरकार लापरवाह है।
वोट बैंक की राजनीति हो रही है। बच्चे वोटर होते तो शायद सरकार ध्यान देती। हर जिले के सरकारी अस्पतालों में कांग्रेसी जाएंगे और व्यवस्थाएं ठीक कराएंगे। उन्होंने कहा कि जांच की जाए कि कहीं लोहिया अस्पताल में की जा रही आक्सीजन की सप्लाई तो नकली नहीं है।
एक घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। तब घर वाले टेंपो से उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, तब तक रास्ते में गर्भ में ही बच्चे की मौत चुकी थी। ऐसी सरकार किस काम की जो एंबुलेंस के लिए डीजल तक न मुहैया करा पाए।
पहली सितंबर को उसकी मौत हो गई। इलाज के दौरान डॉक्टर व अस्पताल कर्मियों ने दवाइयां बाहर से मंगवाईं। पहले कहा गया कि बच्चा स्वस्थ है। बाद में आक्सीजन लगाने की बात कहकर आक्सीजन के 1000 रुपये मांगे गए। उसने एक नर्स को रुपये दिए फिर भी ऑक्सीजन नहीं लगाई गई। कांग्रेसियों ने उन्हें मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया।
काफिला पट्टिया छेदासिंह गांव में पहुंचा। यहां वीरेंद्र शाक्य की पत्नी शांति देवी से राज बब्बर मिले। शांति ने बताया कि 21 अगस्त को कमालगंज सीएचसी में उसने बेटे को जन्म दिया। 22 अगस्त को लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। 25 को बेटे की मौत हो गई। बताया गया कि बच्चा कम दिन का पैदा हुआ है, इसलिए हालत खराब है। जबकि गर्भावस्था के नौ महीने पूरे हो चुके थे। इलाज में लापरवाही बरती गई। वीरेंद्र के पिता राकेश शाक्य ने आरोप लगाया कि लोहिया अस्पताल में डॉक्टर ने उनसे रुपये मांगे थे। अस्पताल में दवाएं भी न होने की बात कही गई। समय से दवा व सही उपचार न मिलने के कारण उनके पोते की मौत हो गई।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रमोद तिवारी, डॉ. संजय सिंह राज्यसभा सांसद, विधायक अनुराधा, एमएलसी दीपक सिंह, कन्नौज की पूर्व जिलाध्यक्ष ऊषा दुबे, जिलाध्यक्ष मृत्युंजय शर्मा, कौशलेंद्र यादव, जुम्मन खां, सूर्यप्रकाश शुक्ला, पुन्नी शुक्ला आदि मौजूद रहे। इससे पहले जहानगंज कसबे में एक शोरूम के बाहर काफिला रुका। यहां प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं का स्वागत किया गया।