उत्तर प्रदेश में अशासकीय (एडेड) प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों को मान्यता देने में बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने जमकर मनमानी की है। दोनों तरह के विद्यालयों के लिए 666 मान्यता प्रकरण पोर्टल पर अपलोड हुए लेकिन, अधिकारियों ने उन्हें निस्तारित नहीं किया। तय समय के बाद पोर्टल पर साफ्टवेयर के माध्यम से प्रकरण स्वत: निरस्त हुए हैं। इस मामले में 72 बेसिक शिक्षा अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है इसके बाद उन कार्रवाई करने तैयारी है।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से हर साल नए प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों को तय मानक पूरे करने पर मान्यता दी जाती है। इस बार फरवरी से लेकर मार्च तक विभाग ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सात पत्र भेजे और वीडियो कांफ्रेंसिंग आदि में नई मान्यता के संबंध में विधिवत निर्देश दिए। यह भी बताया गया कि 31 मार्च 2022 तक प्रकरण निस्तारित न होने पर साफ्टवेयर उन्हें स्वत: निरस्त कर देगा। इस मामले में बीएसए को ही जवाबदेह बनाया गया।
शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी जिलों को कड़ा पत्र भेजा है इसमें लिखा है कि अधिकांश जिलों ने मान्यता पोर्टल पर 31 मार्च 2022 तक प्रकरणों को निस्तारित नहीं किया है। कुछ जिलों ने 31 मार्च को बिना किसी कार्यवाही के प्रकरणों को खुद निरस्त कर दिया।
निदेशक ने लिखा है कि समय से प्रकरणों का निस्तारण नहीं करना आपका शासकीय कार्यों में रुचि नहीं होने के साथ उदासीनता को भी स्पष्ट करता है। यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। उन्होंने लिखा कि मान्यता संबंधी प्रकरणों को जनहित गारंटी अधिनियम 2011 के तहत शामिल करते हुए आनलाइन पोर्टल के माध्यम से एक माह की समय सीमा में निस्तारित किए जाने का नियम है। ये पोर्टल मुख्यमंत्री कार्यालय के दर्पण पोर्टल से लिंक है और उसकी हर माह समीक्षा होती है।
शिक्षा निदेशक ने 72 जिलों के बीएसए को लिखा है कि तय समय में प्रकरण निस्तारित न होने से वे स्वत: निरस्त हुए हैं और कुछ को निरस्त किया गया है का विवरण भेजा है, सभी से 18 मई तक ई-मेल पर स्पष्टीकरण मांगा है। सिर्फ तीन जिलों हमीरपुर, झांसी और लखीमपुर खीरी ने ही तय समय में प्रकरणों का निस्तारण किया है। बीएसए का जवाब मिलने के बाद कार्रवाई की तैयारी है।