नोएडा के ट्विन टावर के गिरने के बाद भी उठ रहे हैं ये सवाल

 को गिराने से पहले खास तैयारी की गई थी. इसमें से ब्लैक बॉक्स जैसी करीब 20 मशीनें निकाली जाएंगीं. इन मशीनों से बिल्डिंग के एक्सप्लोजन से जुड़ा डेटा मिलेगा.

नोएडा के ट्विन टावर अब गिर चुके हैं. इसके गिरने के बाद भी लोगों के मन में कई सवाल हैं. लोगों को प्रदूषण की चिंता है. सवाल ये भी है कि मलवे को पूरा हटने में कितना और समय लगेगा. हालांकि इसी मलवे में अभी कई सवालों के जवाब भी छिपे हुए हैं. दरअसल इस बिल्डिंग को गिराने से पहले खास तैयारी की गई थी. इसमें से ब्लैक बॉक्स जैसी करीब 20 मशीनें निकाली जाएंगीं. इन मशीनों से बिल्डिंग के एक्सप्लोजन से जुड़ा डेटा मिलेगा.

मलबे से मिला ब्लैक बॉक्स

बता दें कि डिमोलिशन करने वाली कंपनी एडिफाइस के मुताबिक ट्विन टावर गिराने से पहले इसकी मॉनिटरिंग के लिए 20 मशीनें फिट की गई थीं. ऐसे में मलबे से कुछ मशीनें तो मिल गई हैं, जिनमें से डेटा निकाला जा रहा है. हालांकि इसमें अभी 2-3 हफ्ते का वक्त लग सकता है. क्योंकि अभी जमीन के अंदर लगाई गईं मशीनें मिलना बाकी हैं. इसमें कई तरह की मशीनें लगाई गई थीं जिनमें कि डस्ट मॉनिटर, नॉइस मॉनिटर और वेलोसिटी मीटर जैसी मशीनें शामिल थीं. इन्हें खोजकर डेटा जमा किया जाना है, फिर इस डेटा से रिपोर्ट बनेगी.

कितनी देर में गिरे टावर

इन ब्लैक बॉक्स से मिलने वाला डेटा बहुत जरूरी है. यह आगे की रिसर्च के लिए भी काम आएगा. बिल्डिंग में वेलॉसिटी और एक्सेलरेशन मापने की मशीनें लगाई गई थीं, जिसके डेटा से पता चलेगा कि बिल्डिंग ठीक कितने सेकेंड में नीचे आई.

पूरी दुनिया करेगी इस डिमोलिशन पर रिसर्च

गौरतलब है कि ट्विन टावर का डिमोलिशन परफेक्ट इंजीनियरिंग का नमूना है. पूरी दुनिया में इसका एनालिसिस किया जाएगा. दुनियाभर में पहले भी 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले स्ट्रक्चर गिरे हैं, लेकिन उनके आसपास काफी जगह थी. गैस पाइपलाइन और आसपास बसाहट जैसी दिक्कतों के बावजूद ट्विन टावर प्लान के मुताबिक गिराए गए हैं. यह अपने आप में भविष्य के लिए एक बेहतर उदाहरण हैं.

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