साइनस में लाभदायक हैं ये योगाआसन, आप भी जरूर करें ट्राई

जिनको भी साइनस की समस्या है, वही इसके दर्द और परेशानी को जानते हैं. मैं भी इसकी शिकार हूं, इसलिए मैं जानती हूं कि साइनस अटैक के दौरान सांसों का भारी होना, लगातार छीकें आना, सिरदर्द कैसे आपको प्रभावित करता है. आप गोलियां और स्प्रे के भरोसे ही जीवन जीते हैं, लेकिन अगर इसका कोई प्राकृतिक तरीका मिल जाए तो सब कितना आसान होगा न? ऐसे समय में योग एक अच्छा सहारा है. योग आपको रातों-रात साइनस से छुटाकार नहीं दिला सकता. हां, मगर इससे आपको रिलीफ जरूर मिल सकता है.
उष्ट्रासन या केमल पोज़
उष्ट्रासन आपके पूरे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है. यह आपके श्वसन में सुधार करता है और आपके गले और छाती को स्ट्रेच करता है. यह पोज़ आपके फ्रंटल रीज़न को भी स्ट्रेच करता है. इतना ही नहीं, यह आपके नेसल पैसेज से भारीपन को दूर करता है.
उष्ट्रासन करने का तरीका- योगा मैट पर घुटने के बल बैठ जाएं और दोनों हाथों को हिप्स पर रखें. साथ ही, अपनी पीठ को झुकाएं और अपनी हथेलियों को अपने पैरों पर तब तक खिसकाएं जब तक कि हाथ सीधे न हो जाएं. ध्यान रखें इस दौरान आपकी गर्दन में दबाव न आए. इस पोज़ में कुछ देर रहें. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पहली पोजीशन में आ जाएं. हाथों को वापस अपनी कमर पर ले आएं.
अधोमुख श्वानासन
अधोमुख श्वानासन को डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज भी कहा जाता है. यह एक शुरुआती स्तर का अष्टांग / हठ स्तर का योग आसन है. आप इसका अभ्यास सुबह खाली पेट करें और इसे 1 से 3 मिनट तक ऐसे ही रहने दें. यह पोज़ शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करती है जिससे शरीर में किसी भी तरह की गांठ और तनाव से राहत मिलती है. यह आपके नेक और स्पाइन को स्ट्रेच करती है। इस पोज़ में नाक की कंजेशन में राहत मिलती है.

अधोमुखश्वानासन करने का तरीका- योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं. इसके बाद सांस खींचते हुए अपने पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं और टेबल जैसी आकृति बनाएं. सांस को बाहर निकालते हुए धीरे—धीरे हिप्स को ऊपर की तरफ उठाएं. अपनी कुहनियों और घुटनों को सख्त बनाए रखें. ये तय करें कि शरीर उल्टे ‘V’ के आकार में आ जाए. इस आसन के अभ्यास के दौरान कंधे और हाथ एक सीध में रहें. जबकि पैर हिप्स की सीध में रहेंगे. इस बात का ध्यान रहे कि आपके टखने बाहर की तरफ रहेंगे. अब हाथों को नीचे जमीन की तरफ दबाएं और गर्दन को लंबा खींचने की कोशिश करें. आपके कान आपके हाथों के भीतरी हिस्से को छूते रहें और अपनी निगाह को नाभि पर केन्द्रित करने की कोशिश करें. इसी स्थिति में कुछ सेकेंड्स तक रुकें और उसके बाद घुटने जमीन पर टिका दें और मेज जैसी स्थिति में फिर से वापस आ जाएं.
कपालभाति
कपालभाति अस्थमा से लेकर साइनस दूर करने में मददगार है. यह ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखता है. इसमें सांस छोड़ने की प्रक्रिया करने से फफेड़े लंबे समय तक ठीक से काम करते हैं. स्ट्रेस और चिंता दूर करने में मदद करता है. इससे गैस, कब्ज तथा एसिडिटी आदि में लाभ पहुंचाता है.

कपालभाति करने का तरीका- किसी भी आरामदायक मुद्रा में बैठें. अपनी पीठ को सीधा करें और अपनी आंखें बंद कर लें. अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें. सामान्य रूप से सांस ले, और छोटी, लयबद्ध और फोर्सफुल सांस छोड़ें. साथ ही पेट को भी अंदर की और बहार की ओर निकालें. अपने फेफड़ों से सारी हवा को बाहर की ओर निकालें. इसे लगभग 10 बार दोहराएं और वापस नॉर्मल पोजिशन में आ जाएं.

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