अगर टोक्यो ओलंपिक के मेडल टेबल पर नजर डालेंगे तो देखेंगे सबसे ज्यादा 39 गोल्ड के साथ कुल 113 पदकों के साथ अमेरिका पहले जबकि 38 गोल्ड मेडल के साथ कुल 88 मेडल जीत कर चीन दूसरे स्थान पर रहा था। इन सब के बावजूद भी इस साल के ओलंपिक में ये दोनों देश को सबसे सफल देशों का दर्जा प्राप्त नहीं हो पाया है।
ये बात सुनने में बहुत अजीब लग रही होगी पर एक देश ऐसा भी है जिसने सफलता के मामले में चीन व अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। तो चलिए जानते हैं कि वो देश कौन सा है।
सैन मारिनो बना टोक्यो ओलंपिक का सबसे सफल देश
बता दें कि सैन मारिनो जैसे छोटे से देश ने सफलता के मामले में चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। बता दें कि सैन मारिनो ने टोक्यो ओलंपिक में एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज़ मेडल सहित कुल 3 पदक हासिल करने में सफलता हासिल की है। बता दें कि मिक्स्ड ट्रैप शूटिंग इवेंट में पेरिली ने जियान मार्को बर्टी के साथ जोड़ी बनाकर देश को सिल्वर मेडल दिलाया था। उसके अलावा ऐलाहांद्रा पेरिली ने महिला ट्रैप शूटिंग इवेंट में ब्रॉन्ज़ मेडल भी अपने नाम किया था। बता दें कि ये ब्रॉन्ज़ मेडल इस देश के शूटिंग इवेंट में अब तक का पहला मेडल भी था। इसके अलावा एक और ब्रॉन्ज़ मेडल रेसलिंग में नजीम अमीन ने 86 किलोग्राम भार वर्ग में दिलाया था। ये मेडल उन्होंने भारतीय पहलवान दीपक पुनिया को हराकर जीता था।
इस वजह से बना सबसे सफल देश
बता दें कि इस देश ने कुल 3 पदक जीत कर 72वें पायदान पर ओलंपिक का समापन किया था। इसके बावजूद ही इस देश को सबसे सफल ओलंपिक देश का रुतबा हासिल हुआ है। बता दें कि इस देश ने ओलंपिक के लिए महज 5 एथलीट का दल इन खेलों के 4 इवेंट के लिए भेजा था। इन 5 एथलीटों में से 3 एथलीट मेडल जीतने में भी सफल रहे थे।
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इस मामले में भी बना ओलंपिक इतिहास का सबसे सफल देश
यूरोप के इटली देश के पास बसा सैन मारिनो देश की कुल आबादी 33600 की है। इस हिसाब से अगर मेडल प्रति व्यक्ति देखा जाए तो वो 12 हजार प्रति वयक्ति के आसपास आएगी जो बेहद शानदार है। इस हिसाब से भी ये देश ओलंपिक इतिहास का सबसे सफल देश बन गया है।
ऋषभ वर्मा
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