तीन जगहों को बताया गया है उत्तम
पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्तूबर को अमावस्या तक चलेगा। पूर्वजों के आशीर्वाद से वंश की तरक्की के लिए लोग पूजा करेंगे। कहा जाता है कि श्राद्ध व पिंडदान के लिए देश में तीन जगह सबसे अच्छी है। यहां देश और विदेश से लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने को आते हैं।
गया (बिहार): बिहार प्रदेश के गया में फल्गु नदी के किनारे पिंडदान करने के लिए सैकड़ों लोग हर साल आते हैं। यहां विभिन्न पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। यहां पिंडदान करने से पूर्वजों को शांति मिलती है। बैंकुठ में भेजने के लिए और मृत्युलोक में भटकने से बचाने के लिए यहां लोग आते हैं। सैंकड़ों पंडे यहां पूजा के लिए इकट्ठा होते हैं। पृथ्वी को मृत्युलोक कहते हैं और यहां पर मरने के बाद भटकने से बचाने के लिए लोग गया का रुख करते हैं।
ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड): प्रदेश में यह अलकनंदा नदी के तट पर बसा है और इसे भी श्राद्ध के लिए पवित्र माना जाता है। यह बद्रीनाथ धाम के पास ही पड़ती है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। पौराणिक कथा है कि पांडवों ने भी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया था। इससे सीधे पूर्वजों को स्वर्ग मिलता है।
नारायणी शिला (हरिद्वार): उत्तराखंड में ही हरिद्वार में नारायणी शिला है यहां पर भी लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान औरश्राद्ध करने के लिए आते हैं। यह देवों की भूमि होने के कारण लोगों में इस स्थान के प्रति भी अलग ही आस्था है। कहा जाता है कि हरिद्वार में भगवान विष्णु और शिव के निवास करने के कारण लोग इसे और पवित्र मानते हैं।
GB Singh