Trending और style के इस समय में मेरे भी सपने ऐसे पूरे हो रहे जैसे आम मीठा और रसदार होकर सामने ही टप -टप टपकने लगे!
तो उस दिन गए जब मामा के घर, बिटिया जी को periods शुरू ही हुए थे। पटर- पटर बोलने वाला चुप्पी साध ले तो सवाल दागे ही जाते हैं! क्या हुआ इसको, अरे इतनी dull क्यों है? हमने कह दिया, periods आज ही शुरू हुए हैं! इतने ऐलानिया या open हम आदतन तो हैं ही फिर कब तक चलेगी कवायद छुपाने की और छुपाया भी क्यों जाए! कोई अक्षय कुमार padman बनकर घर में तो नहीं आएगा, फिर कैसा इंतज़ार, खुद ही बोलना है !
अब हमने तो जो कहा सो कहा, मामा से लेकर भाई सब ऐसे हाथों हाथ लेने लगे बिटिया को कि मन भर आया!
सब नए- नए जवान होते अच्छे कद काठी वाले लड़के, पहली बार लड़की को समझाते दिखे, “ये 5 दिन सबसे special दिन हैं तुम्हारे, जो मन करे खाओ, खुद को खूब आराम दो। चलो चॉकलेट खाओ! ” फ़ौरन खरीद कर आ गई सब चीजें, खुद परोस कर लड़की को ऐसे खिलाने लगे लड़के कि खुद मूड swings झेल चुके हों।
फिर तो बिटिया जी एकदम feel good करते हुए हँसने लगीं। घर पर बिटिया के पापाजी सबको बोलेंगे, “अरे समझा करो उसके period चल रहे हैं, थोड़ा चिड़ -चिड़ाएगी तो है ही! “
सोचती हूँ trending और style ये है तो हम भी चलेंगे इस फैशन में! न दाग, पैड छुपाने का संघर्ष, न दर्द दबाने की प्रताड़ना! और इसीको कहते हैं न male paticipation और संवेदनशील होना। इतना आम और सामान्य हो जाएं कि एक दिन हमने phone पर कहा दोस्त से, “periods हो रहे हैं, irritate मत करो! ” तो वो हँसते हुए बोला, “यार आज जिस लड़की से मैंने बात की हर एक को periods हो रहे हैं, sorry! कुछ ला दूँ खाओगी? “
—–स्वाति श्रीवास्तव