सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण का कार्य काफी पहले ही कर दिया गया था। कुछ को एक में मिलाया जा रहा है। इसके पीछे तर्क है सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने और घाटे को कम करने के लिए। आने वाले दिनों में सरकार की ओर से दो और सरकारी बैंकों पर ताला लटक सकता है वे निजी हाथों में जाएंगे। वित्त मंत्री ने फरवरी 2022 में बजट के दौरान ही यह बात कर दी थी। इसमें एक इंश्योरेंस कंपनी भी शामिल है जिसका निजीकरण होना है। आइए जानते हैं इसके बारे में और।
अभी सरकार ने नहीं की घोषणा
भले ही वित्त मंत्री की ओर से बजट के दौरान दो बैंकों को बंद करने और एक बीमा कंपनी के निजीकरण की बात कही गई थी लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। सरकार की ओर से जो दो सरकारी बैंकों को बंद कर उनका निजीकरण करने की बात कही जा रही है वह काफी बड़े बैंक हैं। इस बार मानसून सत्र में इसे लेकर एक कानून आ सकता है जो बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक होगा।
यह हैं दो बैंक
सरकार की ओर से बजट पेश करने के बाद मीडिया में आई रिपोर्ट की मानें तो इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया दो ऐेसे बैंक हैं जो आगे जलकर निजीकरण की तरफ बढ़ेंगे। इनको बंद कर निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से इसमें अपनी हिस्सेदारी को 51 फीसद से कम कर देगी और 26 फीसद कर देगी। संसद में कानून होने के बाद इस पर काम आगे बढेÞगा। वैसे, इसका बैंक के कर्मचारियों ने काफी विरोध किया है लेकिन उनका आंदोलन सरकार तक प्रभाव डालने में नाकाम साबित हो रहा है। सरकार इस मामले में अपनी पूरी तैयारी कर चुकी है। सितंबर तक यह काम हो सकता है। वहीं, जनरल इंश्योरेंस कंपनी भी प्राइवेट हाथों में जाएगी।
GB Singh