लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भले ही BJP को एक भी मुस्लिम जिताऊ चेहरा न मिला हो, लेकिन निकाय चुनाव में बीजेपी को मुसलमानों में भी जिताऊ चेहरे दिखाई देने लगे हैं. तभी तो उत्तर प्रदेश के कई जिलो में बीजेपी ने मुस्लिम चेहरों पर दांव लगाया है. अकेले लखनऊ में बीजेपी ने चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि वाराणसी में तीन मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है.
अभी-अभी: बिहार में हुआ बड़ा हादसा, पिकनिक मनाने के लिए गया था परिवार, गंगा में डूब कर हुई मौत…
मुस्लिम महिला उम्मीदवारों पर ज्यादा भरोसा
रोचक बात यह है कि बीजेपी ने इस बार मुस्लिम महिलाओं पर ज्यादा भरोसा दिखाया है. लखनऊ के चार मुस्लिम बीजेपी उम्मीदवारों में दो मुस्लिम महिला नेता- नाजुक जहां और रिजवाना बानो हैं. वहीं बुक्कल नवाब के बेटे को भी बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. PM मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीजेपी ने 3 में से 2 मुस्लिम महिला चेहरों पर दांव लगाया है. रुबीना बेगम और हुमा बानो वाराणसी के अलग-अलग वार्ड से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी.
सिर्फ लखनऊ और वाराणसी ही नहीं बीजेपी ने मेरठ की शाहजहांपुर नगर पंचायत से आयशा खान और बिजनौर के सरसपुर नगर पंचायत से निशा परवीन को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है. कासगंज के भरगैन नगर पंचायत से नजमा बेगम बीजेपी के टिकट पर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रही हैं.
मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिमों पर दांव
कांग्रेस के गढ़ अमेठी, आजमगढ़, गोंडा, कौशांबी, प्रतापगढ़, फैजाबाद, कानपुर, बरेली, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, अंबेडकरनगर सहित कई अन्य जिलों में भी नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार है. गौरतलब है कि जिन जिलों में मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से ऊपर है, वहां बीजेपी ने इस चुनाव में मुस्लिम चेहरों पर भी दांव लगाने की रणनीति बनाई है.
बीजेपी प्रवक्ता चंद्रमोहन का कहना है, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाने वालों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. हमारी सरकार सबका साथ और सबका विकास का मंत्र लेकर चल रही है, जिसमें कोई तबका पीछे नहीं छूटेगा.”
पार्षदों की उम्मीदवारी पर नजर रख रहे बीजेपी प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं ने विधानसभा में भी बीजेपी को वोट दिया था और वह लगातार प्रधानमंत्री के सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ चल रही हैं, ऐसे में हमें भी उनके साथ की जरूरत है.
बहरहाल मुसलमानों की बढ़ती दावेदारी BJP के भीतर चौंकाने वाली है, क्योंकि BJP चुनाव के दौरान ध्रुवीकरण में हमेशा अपनी जीत देखती आई है. ऐसे में इतनी तादाद में मुसलमानों को टिकट देने को बीजेपी की नई रणनीति के तौर पर देखा जा सकता है. अब देखना यह है कि टिकट देने के बाद बीजेपी से कितनी मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव जीतकर आती हैं.