उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election) के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां रणनीति बनाने में जुटीं है. विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से जातीय समीकरण हावी हैं। और सभी पार्टियां, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए जुटी हुए हैं.

इसी क्रम में सत्तारूढ़ भरतीय जनता पार्टी, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए, आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. इस कार्यक्रम में वह पिछड़ी जातियों को मनाने के साथ ही उन्हें केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा पारित किये गए, ओबोसी विधेयक के बारे में भी बताएगी.
एक नई रणनीति के तहत बीजेपी यूपी चुनाव से पहले प्रदेश के 75 जिलों में विशाल ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आउटरीच कार्यक्रम करेगी. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गैर-यादव, छोटी या बड़ी ओबीसी जातियों का समर्थन हासिल करना होगा।
ओबीसी आउटरीच कार्यक्रम के जरिए भाजपा प्रदेश की जनता को यह बताएगी कि कैसे दूसरी पार्टियों ने ओबीसी समुदाय के साथ विश्वासघात किया है और उनके साथ मात्र वोट बैंक तक का रिश्ता रखा है.
प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी, समाजवादी पार्टी भी पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करने में जुटी है. समाजवादी पार्टी कानपुर-बुंदेलखंड के सभी जिलों में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन कर रही है. समाजवादी पार्टी के इन ओबीसी सम्मेलनों में बड़ी संख्या में भीड़ हो रही है. समाजवादी पार्टी खुद को पिछड़ी जातियों का सबसे बड़ा मसीहा बता रही है. इसके साथ ही समाजवादी कार्यकर्ता बूथ स्तर पर ओबीसी वोटरों को जोड़ने का काम कर रहे हैं.
ओबीसी वोटरों को अपना कोर वोटर न मानने वाली ‘कांग्रेस पार्टी’ ने भी यूपी में खुद को खड़ा करने के लिए ओबीसी सम्मेलन की योजना बना रही है. जिसकी तैयारी बुंदेलखंड में जोर-शोर से चल रही है. कांग्रेस शुरू से ब्राह्मण, मुस्लिम और दलितों को अपना वोट बैंक बताती रही है. और बीजेपी, ने कांग्रेस के इसी वोट बैंक में सेंधमारी कर सत्ता में काबिज हो गई.
ज्ञात हों कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी कुल मतदाताओं के 50 प्रतिशत से अधिक हैं, और इसके साथ ही गैर-यादव ओबीसी राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 35 प्रतिशत हैं.
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