अमेरिकी सीनेट में शुक्रवार सरकारी कामकाज के लिए फंडिंग को मंजूरी देने वाला बिल पास नहीं हो सका, जिसके बाद वहां सरकार शटडाउन की नौबत आ गई है. अमेरिकी सांसद बजट को लेकर बने गतिरोध को हफ्ते की शुरूआत से पहले दूर करने में नाकाम रही है. लंबी बातचीत के बावजूद सीनेट में मतदान टल गया है.
हालांकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने कहा कि हफ्ते के आखिर में हुई बातचीत में प्रगति हुई है. उन्होंने सोमवार को देर रात एक बजे (भारतीय समयानुसार दिन में साढ़े 11 बजे) तय मतदान के समय को और 11 घंटे आगे बढ़ा दिया है.
इस देरी का मतलब है कि आमतौर पर सोमवार सुबह काम पर आने वाले संघीय सरकार के हजारों कर्मी बिना वेतन के अपने घर पर रहने को मजबूर होंगे.
पिछले करीब तीन दशकों में ऐसा चौथा मौका आया है, जब अमेरिका में सरकार शटडाउन हुआ है. इससे पहले 2013, 1995-96 और 1990 में शटडाउन का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इससे पहले भी 1980, 1981, 1984 और 1986 यूएस सरकार बंदी की कगार पर पहुंची थी.
शटडाउन का असर
2013 में हुए शटडाउन का व्यापक असर देखने को मिला था. उस दौरान 8 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को अस्थाई छुट्टी पर भेजा गया था. हालांकि, शुक्रवार को बिल पास होने की डेडलाइन खत्म होने के बाद अभी तक इसका कम असर ही देखने को मिला है. सोमवार को कामकाज का पहला दिन होने के नाते शटडाउन के असर की असल तस्वीर उभरने की उम्मीद है.
क्या होगा असर
क्योंकि ये बिल संघीय सरकार (जैसे-भारत में केंद्र सरकार के कर्मचारी) से संबंधित है, इसलिए इसका असर भी संघीय सरकार कर्मचारियों पर ही अत्यधिक पड़ेगा. इनमें अमेरिकी सेना के जवानों की सैलरी रुक जाएगी. अमेरिका की सेनाएं दुनिया भर में तमाम सैनिक अ्डडों पर तैनात हैं और शटडाउन की वजह से वहां उनके खर्च पर असर पड़ने की आशंका है.
हालांकि, आवश्यक संघीय सेवाएं और सैन्य गतिविधियां जारी रहेंगी.
राज्य सेवाओं पर असर नहीं
शटडाउन का असर राज्य सरकार की सेवाओं पर नहीं होगा. ऐसे में अगर यह शटडाउन कुछ दिनों में खत्म हो जाता है तो यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था और प्रशासन पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाएगा. लेकिन अगर गतिरोध लंबा खिंचता है तो इसके परिणाम चिंताजनक हो सकते हैं.
शटडाउन का अर्थ
अमेरिका में ऐंटी-डेफिशिएंसी नाम का ऐसा कानून लागू है, जिसके तहत वहां पूंजी की कमी होने पर संघीय एजेंसियों को अपना कामकाज रोकना पड़ता है. ऐसी स्थिति में संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है और उन्हें सैलरी नहीं दी जाती है. इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार बजट लाती है, जिसे प्रतिनिधि सभा और सीनेट में पास कराना जरूरी होता है. शुक्रवार को इसी बिल पर वोटिंग हुई, जो विपक्षी डेमोक्रेटिक सांसदों के विरोध के चलते पास नहीं हो सका.
शटडाउन होने से करीब 7 लाख कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या कुल सरकारी कर्मचारियों की 40 फीसदी बताई जा रही है. शटडाउन की वजह से पासपोर्ट कार्यालय, स्वास्थ्य विभाग, आयकर विभाग आदि बंद है.